पर्यावरण

माऊँट एवरेस्ट भी कचरे से पटा

आज के लगभग सभी समाचार पत्रों ने हिमालय की सबसे ऊँची चोटी माऊँट एवरेस्ट के बारे में बहुत ही व्यथित कर देने वाला समाचार प्रकाशित किए हैं। खबरों के अनुसार समूचे उत्तर भारत की सैकड़ों छोटी बड़ी नदियों के उद्गम श्रोत हिमालय के उच्चतम शिखर माऊँट एवरेस्ट पर मानव की आवाजाही अब एक साधारण पर्यटन स्थल की तरह होने लगी है। एक रिपोर्ट के अनुसार पिछले वर्ष 800 लोगों ने अपने पूरे लावलश्कर के साथ माऊँट एवरेस्ट पर चढ़े थे। इस साल अब तक 600 लोग एवरेस्ट से लौट चुके हैं। इस साल कुल 500 विदेशी पर्वतारोहियों के साथ 1000 से ज्यादे उनके सहायक कर्मियों को भी माऊँट एवरेस्ट जाने का अनुमान है।
माऊँट एवरेस्ट पर चढ़ने वालों में ज्यादेतर धनी पर्वतारोही होते हैं, जिन्हें वहाँ के पर्यावरण की बिल्कुल चिन्ता नहीं होती, वे केवल अपने सैरसपाटे के उद्देश्य से ही वहाँ जाते हैं, जो अपने साथ टेंट, तमाम पैकेटबंद खानेपीने का सामान, तमाम तरह के विलासिता के उपकरण, गैस सिलेंडर आदि-आदि लेकर जाते हैं। माऊँट एवरेस्ट की 8848 मीटर ऊँची चोटी के चढ़ने के मार्ग पर वे हर जगह उक्त अपने साथ ले गये सामान की उपयोगिता समाप्त होने पर वहीं छोड़ आते हैं, फेंक देते हैं। इस प्रकार पूरा हिमालय ऊपर से नीचे घाटी तक कूड़े के एक बहुत ढेर में तब्दील होता जा रहा है।
समाचार पत्रों की सूचना के अनुसार नेपाल सरकार ने अपने 45 दिनों के एवरेस्ट सफाई अभियान के तहत 10000 किलोग्राम कूड़ा इकट्ठा कर नीचे लाने का लक्ष्य निर्धारित किया है, जिसमें से अब तक 3000 किलोग्राम कूड़ा नीचे लाया जा चुका है, इसमें लगभग दो करोड़ 32 लाख नेपाली रूपये खर्च किए जाने हैं। इस समग्र कूड़े को काठमांडू में इकट्ठा करके 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस पर दुनिया भर के लोगों को दिखाया जायेगा।
वैश्विक तापमान बढ़ने से हिमालयन ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं जिससे लाखों सालों से बर्फ से आच्छादित चोटियां भी नंगी हो रहीं हैं, जिससे दशकों पूर्व बर्फ के नीचे दबे पर्वतारोहियों द्वारा छोड़े गये बेकार सामान दिखाई देने लग रहे हैं। इस सफाई अभियान में कई सालों पूर्व बर्फ में दफन चार पर्वतारोहियों के शव भी मिले हैं। हिमालय की उच्च चोटियों की कूड़ेकचरे में तब्दील होने की गति कितनी तेज है कि इसका अन्दाजा इससे होता है कि 2017 में भी नेपाली पर्वतारोही दल अपने साथ 25000 किलो कचरा और 15000 किलो मानवीय अपशिष्ट एवरेस्ट से नीचे लाए थे। ज्ञातव्य है कि जिस हिसाब में माऊँट एवरेस्ट पर कूड़ेकचरा बिखरा है, उसका यह एक छोटा सा अंश ही है !
कितने दुख की बात है कि पृथ्वी के पर्यावरण के साथ कितनी तेजी से मानवप्रजाति छेड़छाड़ कर रहा है, इसका यह एक छोटा सा ज्वलंत उदाहरण मात्र है। मानव प्रजाति ने इस धरती के लगभग हर भूभाग को रासायनिक, जैविक, वायुवीय, जलीय आदिआदि हर तरह से प्रदूषित और तबाह कर रहा है, चाहे समुद्र हों, नदियां हों, जंगल हों , खेत हों, चरागाह हों,पहाड़ों की उच्चतम चोटियां हों या अंतरिक्ष हो, सभी जगह मानवकृत कूड़ाकचरा, प्रदूषण आदि लगातार फैलता जा रहा है। यह प्रदूषण नामक ‘दानव ‘ही किसी बड़े आकाशीय उल्कापिंड के टकराने से पूर्व ही, देर सवेर इस जैवमण्डल के सभी जीव-जन्तुओं सहित स्वयं मानवप्रजाति के लिए भी अभिषाप बन जायेगा।

निर्मल कुमार शर्मा

*निर्मल कुमार शर्मा

"गौरैया संरक्षण" ,"पर्यावरण संरक्षण ", "गरीब बच्चों के स्कू्ल में निःशुल्क शिक्षण" ,"वृक्षारोपण" ,"छत पर बागवानी", " समाचार पत्रों एवंम् पत्रिकाओं में ,स्वतंत्र लेखन" , "पर्यावरण पर नाट्य लेखन,निर्देशन एवम् उनका मंचन " जी-181-ए , एच.आई.जी.फ्लैट्स, डबल स्टोरी , सेक्टर-11, प्रताप विहार , गाजियाबाद , (उ0 प्र0) पिन नं 201009 मोबाईल नम्बर 9910629632 ई मेल .nirmalkumarsharma3@gmail.com