ज़िन्दगी….
ज़िन्दगी….
छोटे बड़े ख्वाब दिखाती है ज़िन्दगी।
हंसते -हंसते कभी रुलाती है ज़िन्दगी।
सोचे जब कभी सब पा लिया है हमने;
नई ख्वाहिश से रुबरु कराती है ज़िन्दगी।
नाउम्मीदी की रात जब गुज़र जाती है;
नई सुबह अरमानों की लाती है ज़िन्दगी।
कैसे कह दोगे खुद को भी समझ लिया है;
खुद से कभी मुलाकात कराती है ज़िन्दगी।
क्यों खामोशी ओड़े जी रहे हो तुम यूंही;
रंगीन सपने नैनों में सजाती है ज़िन्दगी।
बदल सकता है नसीब गर इरादे हो पक्के;
हारते को भी मंज़िल से मिलाती है ज़िन्दगी।
कामनी गुप्ता ***
जम्मू !