कविता

आश

मैं मंजिलो पर पहुँचकर अक्सर भटक जाता हूँ।
तेज चलते – चलते पता नही क्यों रुक जाता हूँ।।

लगता है बस अब सारे सपने पूरे होने वाले है।
अगले ही पल आँखों में टूटे सपनो के जाले है।।

बनती बिगड़ती उम्मीदों के पीछे रोज भागता हूँ।
सपने पूरे होने की ख्वाहिश में रोज मैं जागता हूँ।।

कभी नही प्रयासों की कोई कमी रहती है।
फिर भी जीवन की मौत से हर पल ठनी रहती है।।

हर पल जीवन सकून की तलाश मे रहता है।
होगी भोर खुशियों की मन इसी आश में रहता है।

नीरज त्यागी

पिता का नाम - श्री आनंद कुमार त्यागी माता का नाम - स्व.श्रीमती राज बाला त्यागी ई मेल आईडी- [email protected] एवं [email protected] ग़ाज़ियाबाद (उ. प्र)