‘वो माँ है’
पोछ देती है पसीना भी आँचल से मेरा मेरे हाथ लगाने से पहले,
वो माँ है जो मेरी हर तकलीफ़ जान लेती है मेरे कुछ भी बताने से पहले।
वो सिखाती है जीवन के असल मायने हमको स्कूल जाने से पहले,
थाम लेती है वो हाथ हमारा रास्तों की ठोकर खाने से पहले।
ग़लती हो जाने पर अपनी गोद में सुला लेती है पापा के घर आने से पहले,
ख़ुद ही डाँट कर खुद ही मना लेती है बैठकर मेरे आँसू बहाने से पहले।
वो माँ है जो मेरी हर तकलीफ़ जान लेती है मेरे कुछ भी बताने से पहले।
— रूपल सिंह ‘भारतीय नारी’