कविता

कविता

तुम मुझे तलाशना
अपनी अभिव्यक्ति में ही ,
मैं तुमको मिलूंगा
तुम में ही।

सोचना,विचारना छोड़कर
बस थोड़ा समझना मुझे
और मेरे विचार को,
मैं मिलूंगा तुमको
तुम में ही।

मेरे भावों को
अपने हृदय पटल पर
संजोना स्वयं की अनुभूति में
मैं मिलूंगा तुमको
तुम में ही।

अगर फिर भी
न मिलूं मैं तुम्हे
तुम्हारी अभिव्यक्ति में,
कही भी।
तो ज़रा,
मेरी अभिव्यक्ति को परखना
मैं मिलूंगा तुमको
तुम में ही।

*डॉ. राजीव डोगरा

भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा कांगड़ा हिमाचल प्रदेश Email- [email protected] M- 9876777233