कविता

जिंदगी…..

जिंदगी एक अध्ययन है
अपनेआप पर

नियति के अनेक प्रयोग
दिन प्रतिदिन होते रहते है हमपर

झेलते है हम सभी कभी अचानक
दुःख के जानलेवा तूफान बवंडर को

तब कहीं जाकर बड़ी मुश्किल से
वक्त के थपेड़ो से लड़कर
खुद को डार्विन के सिद्धान्त से जोड़ते है

जिसमें संघर्ष करने की शक्ति है
वही इस धरती पर जीने योग्य है

ओह, गम की बारिश भिगो देती है
अंतर्मन के तहों तक
पर सुख के छीटें सूखा नहीं पाती है

हम तो इस काबिल भी नहीं होते
दिल, दिमाग, आत्मबल से
जो उठा सके अनगिनत गमों का बोझ

पर प्रकृति अनभिज्ञ है इस बात से
उसने तो शायद जन्म के समय ही
चुन लिया कुछ मासूमों को
नियति के प्रयोग के लिए

पीड़ा की ओढ़नी माथे पर डालकर
आंखों में अनगिनत आंसू दफन किए
चल पड़ते है लोग….
जिंदगी के खूबसूरत लम्हों की तलाश में

यही सोचकर वक्त बदलेगा
और एकदिन उड़ जाएगी दुःख की ओढ़नी…..
चमकेगा सुख का सूरज

इंसान को कहां पता होता
पर शायद, इसी को कहते होंगे पिछले जन्म के कर्मो के फल……
जो वह अथाह दर्द झेल रहा होता।

*बबली सिन्हा

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