मुक्तक/दोहा

दोहे

छायादार पेड़ नहीं, बोया याद बबूल
अब करते हैं देश वे गलती यहाँ कबूल

पैसों से बढ़कर नहीं, उनके लिए अब कोय
अपने सब अपराध भी, इसके बल पर धोय

खुद को ही मान लेते सबसे बड़ा महान
एक दिन उतरेगा सभी उनका ये अभिमान

जो करता है सदा ही अच्छों का सम्मान
उसको उचित फल मिलता एक दिन ही श्रीमान

ले सको जितना भी लो आप सदैव उधार
मत करो लेने में जी रमेश सोच विचार

सच्चे संत के मुँह से निकले सच्ची धार
अपने भक्तों को देता अच्छे सद् उद्गार

एक दूजे से रखे ना कोई सा भी भेद
यदि रखोगे कर देगा, दुश्मन तुझमें छेद

बात यदि अच्छी लगती दे उसको तू मान
ऐसे गुरु का करिये सदैव ही सम्मान

मित्रता के नाम पर तो धोखा देते लोग
अपन हित करते सदा, रमेश का उपयोग

जिन वीरों ने देशहित किया सदा बलिदान
मिलना उनको चाहिए आदर अरु सम्मान

— रमेश मनोहरा

रमेश मनोहरा

शीतला माता गली, जावरा (म.प्र.) जिला रतलाम, पिन - 457226 मो 9479662215