कविता

फिर सदाबहार काव्यालय- 28

वृक्ष की महिमा अनमोल बड़ी (गीत)

हे वृक्ष तुम्हारी महिमा का क्या कहना है अनमोल बड़ी
तेरी रचनाएं देख-देख है सारी दुनिया चकित खड़ी-

तुम तेज धूप सहकर भी हमें शीतलतम छाया देते हो
हरदम हमें देते रहते हो, हमसे कुछ भी नहीं लेते हो
तेरी ये अदाएं देख-देख है सारी दुनिया चकित खड़ी-

दिन में हमें ऑक्सीजन देकर जीवन को रवानी देते हो
सीधे खड़े रह आनंद देकर बूढ़ों को जवानी देते हो
तेरी मुस्कानें देख-देख है सारी दुनिया चकित खड़ी-

फल-फूल-अन्न-दालें-तिलहन, जड़ी-बूटियां तुमसे मिलती है
निर्माण हेतु लकड़ी देते, ईंधन भी तुम्हीं से मिलती है
तेरी सौगातें देख-देख है सारी दुनिया चकित खड़ी-

पत्थर मारे कोई तुमको, बदले में उसे तुम फल देते
आंधी-तूफां-पानी में भी तुम सहनशील बनकर रहते
तेरी ये अदाएं देख-देख है सारी दुनिया चकित खड़ी-

फल से लदकर हे वृक्ष हो तुम, हमें सीख नम्रता की देते
हर हाल में तुम मुस्काते हो, कटने-गिरने से नहीं डरते
तेरी शिक्षाएं देख-देख है सारी दुनिया चकित खड़ी-

(तर्ज- दिल लूटने वाले जादूगर अब मैंने तुझे पहचाना है———)

मेरा संक्षिप्त परिचय
मुझे बचपन से ही लेखन का शौक है. मैं राजकीय विद्यालय, दिल्ली से रिटायर्ड वरिष्ठ हिंदी अध्यापिका हूं. कविता, कहानी, लघुकथा, उपन्यास आदि लिखती रहती हूं. आजकल ब्लॉगिंग के काम में व्यस्त हूं.

मैं हिंदी-सिंधी-पंजाबी में गीत-कविता-भजन भी लिखती हूं. मेरी सिंधी कविता की एक पुस्तक भारत सरकार द्वारा और दूसरी दिल्ली राज्य सरकार द्वारा प्रकाशित हो चुकी हैं. कविता की एक पुस्तक ”अहसास जिंदा है” तथा भजनों की अनेक पुस्तकें और ई.पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है. इसके अतिरिक्त अन्य साहित्यिक मंचों से भी जुड़ी हुई हूं. एक शोधपत्र दिल्ली सरकार द्वारा और एक भारत सरकार द्वारा पुरस्कृत हो चुके हैं.

मेरे ब्लॉग की वेबसाइट है-
https://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/rasleela/

आप कविता में रुचि रखते हैं, तो आप लोगों के लिए एक स्वर्णिम अवसर. 8 जुलाई को हम एक ब्लॉग किशोरावस्था: आपके-हमारे गीत पब्लिश करना चाहते हैं. इसके लिए आप किशोरावस्था पर गीत, गज़ल, कविता, मुक्तक कुछ भी लिख भेजिए. हम आपके लिए एक नमूना प्रस्तुत कर रहे हैं-
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किशोरावस्था: आपके-हमारे गीत के लिए या फिर सदाबहार काव्यालय के लिए कविताएं भेजने के लिए ई.मेल-
tewani30@yahoo.co.in

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “फिर सदाबहार काव्यालय- 28

  • लीला तिवानी

    जुलाई 1-7 तक वन महोत्सव सप्ताह शुरु हुआ है. वृक्षों के महत्त्व की यादें ताजा रखने के लिए देश में आज से वन महोत्सव सप्ताह मनाया जा रहा है. आइए हम लोग भी इसमें भी अपना हो योगदान दे सकते हैं, दें और पर्यावरण में सुधार कर स्वस्थ रहें. इसी के साथ ही जल-संरक्षण सप्ताह भी शुरु हुआ है. जल की एक-एक बूंद कीमती है, क्योंकि जल ही जीवन है. वृक्ष बचाएं, पर्यावरण बचाएं, जल बचाएं, जीवन बचाएं.

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