गीत/नवगीत

वोट पर्व

होंगे नहीं जबतक हम सभी खुद ही समझदार
तब तक तो हम इस देश को लुटाते रहेंगे !
होगा नहीं कभी भी अपने देश का विकास
जब तक ये नष्ट – भ्रष्ट लोग आते रहेंगे !
लड़ – लड़ के तोड़ देतें हैं जो अपने घरों को
क्या खाक अपने वतन को बचाते रहेंगे !
आती नहीं है लाज जिसे करने में देशद्रोह
क्या वो भारत माँ की लाज को बचा भी सकेंगे !
बनिये सदा ही भक्त, कभी ना बनिये अंधभक
नहीं तो देश की हस्ती ही को मिटाते रहेंगे !
जात देखिये नहीं और न ही धर्म देखिये
अब उनके पाँच सालों का बस कर्म देखिये
नहीं तो पाँच साल हम खुद को ही सताते रहेंगे !
सोंचये, विचारइये औ तर्क खुद से कीजिये !
जो है सच्चा देशभक्त वोट उसको दीजिये !
तभी तो इस धरा में परचम हम लहराते रहेंगे !
तभी तो इस धरा में परचम हम लहराते रहेंगे !

पुष्पा गुप्ता

एम. ए. ( राजनीति विज्ञान ) बी. एड. मैं राजनीति और नारी जीवन से संबंधित कविताएँ लिखने में खास रूचि रखती हूं। अपनी कविताओं के माध्यम से ये संदेश देना चाहती हूँ कि किसी भी राष्ट्र के समुचित विकास के लिए नारी का योगदान अत्यावश्यक है। समाज में उस परिवर्तन की आकांक्षी हूं जहां नारी को अबला नहीं सबला समझा जाए। परिवार से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर तक नारी को वो सम्मान मिले जिसकी वो हकदार है। जय हिंद, जय भारत वंदे मातरम् आवास-दिल्ली मेल आई डी - [email protected]