बाल कविता

रेलगाड़ी।

एक स्टेशन से दूजे तक
भागती जाती वो हरदम
रुकने का न लेती नाम
हरे सिग्नल तक करे विश्राम।

तुम जब इसमें बैठोगे
मंजिल तक पहुंचोगे
इक बात का रखना ध्यान
रखना साफ अपना जान।

देश की संपति है ये
कितनी अच्छी लगती है ये
सफर करो तुम बेफिक्र
नियमों का ध्यान रखें सिर्फ।

कोई शरारत न तुम करना
पछताओगे बाद में वरना
जीवन बड़ा अनमोल है
कोई स्टंट न तुम करना।

मुसाफिर आते और जाते
डिब्बे पटरी पर बड़ते जाते
बुलेट ट्रेन भी चलाएंगे
देश को समृद्ध बनाएंगे।

इक जगह से दूसरी जगह
सामान पहुंचाती इस तरह
कहीं कमी न रह जाए
रेलगाड़ी आगे बढ़ती जाए।

कामनी गुप्ता***
जम्मू !

कामनी गुप्ता

माता जी का नाम - स्व.रानी गुप्ता पिता जी का नाम - श्री सुभाष चन्द्र गुप्ता जन्म स्थान - जम्मू पढ़ाई - M.sc. in mathematics अभी तक भाषा सहोदरी सोपान -2 का साँझा संग्रह से लेखन की शुरूआत की है |अभी और अच्छा कर पाऊँ इसके लिए प्रयासरत रहूंगी |