तू वक्त को थाम नही सकता———
चाहे जितना दौड़ यहां ले !
तू मौत से भाग नही सकता।
थक जायेगा जिस क्षण में !
तू सांसे मांग नही सकता।।
चाहे जितना दौड़…………….
ये मेरा है वो तेरा है !
ये अपने वो पराये हैं !
सब आयेंगे दर पे तेंरे –
तू कुछ जान नही कसता।।
चाहे जितना दौड़…………….
रोते रोते आये यहां पे !
सूर वीर क्यों बनते हो !
प्यासे चाहे जितना हो –
तू पानी मांग नही सकता।।
चाहे जितना दौड़…………….
जीवन भर जो रखते रहे !
उसे लेकर जा नही सकते !
दौलत सब ये लुट जायेंगी –
लेकिन तू जाग नही सकता।।
चाहे जितना दौड़…………….
जीवन के इन चार दिनों में !
कंधे चार बना डालो !
अंत सफर जब आयेगा तो !
दो गज नांघ नही सकता।
चाहे जितना दौड़…………….
माना वक्त ये तेरा है !
न मारों वक्त के मारे को !
ये समय बदलता रहता है –
तू वक्त को थाम नही सकता।
चाहे जितना दौड़…………….
मेहनत से या बेईमानी से !
((राज) कई यहां तेरे बने !
मिट्टी में सब मिल जायेगा –
गगन तू लांघ नही सकता।
चाहे जितना दौड़…………….
राजकुमार तिवारी (राज)