पत्नी के प्रति भावांजलि
पत्नी ही है प्रेमिका,पत्नी ही है मित्र।
महकाती जीवन सदा,बन खुशबू का यंत्र।।
प्रेम अमर इक तत्व है,है प्यारा वरदान।
जीवन कर देता अमर,बनकर मंगलगान।।
प्रेम एक संकल्प है,प्रेम एक अरमान।
प्रेम एक आवेग है, प्रेम एक सहगान।।
प्रेम ख़ुदा की बंदगी, प्रेम एक उत्कर्ष।
प्रेम एक बंधन मधुर,जो नित देता हर्ष।।
प्रेम नहीं है देह बस,प्रेम आत्मा तत्व।
प्रेम समर्पण,त्याग है,प्रेम लिये देवत्व।।
प्रेम नवल इक आस है,प्रेम एक विश्वास।
प्रेम सदा इक सत्य है,प्रेम नहीं आभास।।
प्रेमभाव पावन,सुखद,प्रेम दिली अहसास।
प्रेम नहीं रोदन कभी,प्रेम ‘शरद’ नित आस।।
पत्नी से ही मान है,पत्नी से उत्थान ।