मुक्तक/दोहा

पत्नी के प्रति भावांजलि

पत्नी ही है प्रेमिका,पत्नी ही है मित्र।
महकाती जीवन सदा,बन खुशबू का यंत्र।।

पत्नी से ही प्रेम हो,पत्नी से अभिसार ।
पत्नी भावों की धनी,देती पति को प्यार ।।

प्रेम अमर इक तत्व है,है प्यारा वरदान।
जीवन कर देता अमर,बनकर मंगलगान।।

प्रेम एक संकल्प है,प्रेम एक अरमान।
प्रेम एक आवेग है, प्रेम एक सहगान।।

प्रेम ख़ुदा की बंदगी, प्रेम एक उत्कर्ष।
प्रेम एक बंधन मधुर,जो नित देता हर्ष।।

प्रेम नहीं है देह बस,प्रेम आत्मा तत्व।
प्रेम समर्पण,त्याग है,प्रेम लिये देवत्व।।

प्रेम नवल इक आस है,प्रेम एक विश्वास।
प्रेम सदा इक सत्य है,प्रेम नहीं आभास।।

प्रेमभाव पावन,सुखद,प्रेम दिली अहसास।
प्रेम नहीं रोदन कभी,प्रेम ‘शरद’ नित आस।।

पत्नी से ही मान है,पत्नी से उत्थान ।

पत्नी से ही बढ़ सके,पति की हरदम शान ।।
यदि है पत्नी साथ तो,समझो है उत्थान ।
पत्नी का नित मान हो,होती वह गुण-खान ।।
पत्नी सच्ची सहचरी,पत्नी देती साथ ।
कभी नहीं प्रिय छोड़ना,तुम पत्नी का हाथ ।।
प्रो.शरद नारायण खरे

*प्रो. शरद नारायण खरे

प्राध्यापक व अध्यक्ष इतिहास विभाग शासकीय जे.एम.सी. महिला महाविद्यालय मंडला (म.प्र.)-481661 (मो. 9435484382 / 7049456500) ई-मेल[email protected]