कविता
बहते अश्कों के साथ
अश्क बहाते नजर आएंगे।
बदलते चेहरों के साथ
हम भी बदलते नजर आएंगे।
सुकून नहीं मिला
भले इस दुनिया से
फिर भी हंसते मुस्काते
हम अब नजर आएंगे।
बेदर्द कातिल की तरह
मुझे दर्द दिया है
इस दुनिया ने
फिर भी सब का हमदर्द बन
हम नजर आएंगे।
छोड़ने वालों ने तो
साथ छोड़ दिया हमारा
मगर हम भी दिल से
निभाने वालों का
साथ निभाते नजर आएंगे।
— राजीव डोगरा