गीत-पानी ने ही फेरा पानी
अबकी बारिश का भी दिखता है वही नज़ारा है.
जाने कितनों को जीते जी इसने मारा है.
वर्षा ऋतु में भी जब बादल
नज़र न आते थे.
‘काले मेघा पानी दे-दे’
हम सब गाते थे.
उसी मेघ ने कितनों का ले लिया सहारा है.
अबकी बारिश का भी दिखता है वही नज़ारा है.
अपना पक्का घर भी इससे
कहाँ अछूता है.
चाहे जिस कमरे में बैठो
टप-टप चूता है.
जिनके घर हैं कच्चे उनका कहाँ गुज़ारा है.
अबकी बारिश का भी दिखता है वही नज़ारा है.
मैकू-सुखिया-दुखिया सबकी
यही कहानी है.
पानी ने ही उम्मीदों पर
फेरा पानी है.
जिसको देखो वही दिख रहा हारा-हारा है.
अबकी बारिश का भी दिखता है वही नज़ारा है.
— डॉ. कमलेश द्विवेदी
मो.9140282859