लघुकथा

लघुकथा – बदलता समय

आज नेता जी फिर हमारे गाँव आ रहे थे | दस बर्ष के अंतराल बाद |

पहली बार वह तब आये थे जब उनकी जीत हुई थी और इस क्षेत्र से भरपूर वोट मिले थे | दूसरी बार वह हार गये थे | अब तीसरी बार के चुनाव में जीत गये थे और मौका था एक कमरे के उद्घाटन का | यद्यपि यह कमरा पिछली सरकार ने बनवाया था परन्तु उद्घाटन नहीं कर पाई थी | चुनावों के बाद इस उद्घाटन के कार्य को यह नेता जी पूरा कर रहे थे | पिछली बार दस वर्ष पहले जब वह यहाँ आये थे तब बड़े जोर-शोर से उनके लिए और उनकी सरकार के लिए नारे लगे थे | फूलों के हारों से उनका गला सिर तक भर गया था | सलाम बजाने वालों की लंबी कतार लगी थी | लोगों ने उनके आश्वासनों पर खूब तालियाँ बजाई थीं |यह सारा दृश्य अब तक उनके जहां में जिन्दा था | अब की बार भी नेता जी की ऐसी ही अपेक्षा थी | मगर गाड़ी से उतरते ही उनके गले में थोड़े से हार डले , नारेबाजी भी कम ही हुई तो नेता जी एक आदमी के कान में फुसफुसाये,बोले – नारे तो लगाओ | फिर थोड़े से लोगों ने फिर से थोड़े – बहुत नारे लगाये | काफिला रास्ते में चलता हुआ आगे बढ़ रहा था | उद्घाटन वाले कमरे तक पहुंचने के लिए अभी कोई आधा किलो मीटर रास्ता बचा था तभी नेता जी ने देखा – चालीस – पचास युवा रास्ते में बैठे उनका इंतजार कर रहे हैं | ये देखकर नेता जी खुश हुए |सोचा ये सब मेरे स्वागत के लिए बैठे हैं |देखते ही देखते युवाओं ने रास्ता रोक लिया | नेता जी सहम गये | युवाओं की तरफ से विगत दस वर्षों के निरुत्तर प्रश्नों की बौछार नेता जी पर होने लगी | नेताजी के पास इस बौछार का कोई सटीक जबाब नहीं था | वह घबरा गये | बोले , इन्हें रास्ते से हटाओ |पुलिस उनपर टूट पड़ी | उसने युवाओं को तितर – बितर कर दिया | कुछ पल पहले नेता जी ने नारों के लिए खुद कहा था , अब स्वतः ही पूरी घाटी नारेबाजी से गूँज उठी थी ,परन्तु ये नारे जिन्दावाद के नहीं अपितु मुर्दावाद के थे | नेता जी बच् – बचाकर सुरक्षित जगह पहुँचाए गये | नेता जी को लगा समय बदल गया है | अब युवाओं को झूठे आश्वासनों से बरगलाने का समय नहीं रहा है ||

अशोक दर्द

अशोक दर्द

जन्म –तिथि - 23- 04 – 1966 माता- श्रीमती रोशनी पिता --- श्री भगत राम पत्नी –श्रीमती आशा [गृहिणी ] संतान -- पुत्री डा. शबनम ठाकुर ,पुत्र इंजि. शुभम ठाकुर शिक्षा – शास्त्री , प्रभाकर ,जे बी टी ,एम ए [हिंदी ] बी एड भाषा ज्ञान --- हिंदी ,अंग्रेजी ,संस्कृत व्यवसाय – राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में हिंदी अध्यापक जन्म-स्थान-गावं घट्ट (टप्पर) डा. शेरपुर ,तहसील डलहौज़ी जिला चम्बा (हि.प्र ] लेखन विधाएं –कविता , कहानी , व लघुकथा प्रकाशित कृतियाँ – अंजुरी भर शब्द [कविता संग्रह ] व लगभग बीस राष्ट्रिय काव्य संग्रहों में कविता लेखन | सम्पादन --- मेरे पहाड़ में [कविता संग्रह ] विद्यालय की पत्रिका बुरांस में सम्पादन सहयोग | प्रसारण ----दूरदर्शन शिमला व आकाशवाणी शिमला व धर्मशाला से रचना प्रसारण | सम्मान----- हिमाचल प्रदेश राज्य पत्रकार महासंघ द्वारा आयोजित अखिल भारतीय कविता प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त करने के लिए पुरस्कृत , हिमाचल प्रदेश सिमौर कला संगम द्वारा लोक साहित्य के लिए आचार्य विशिष्ठ पुरस्कार २०१४ , सामाजिक आक्रोश द्वारा आयोजित लघुकथा प्रतियोगिता में देशभक्ति लघुकथा को द्वितीय पुरस्कार | इनके आलावा कई साहित्यिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित | अन्य ---इरावती साहित्य एवं कला मंच बनीखेत का अध्यक्ष [मंच के द्वारा कई अन्तर्राज्यीय सम्मेलनों का आयोजन | सम्प्रति पता –अशोक ‘दर्द’ प्रवास कुटीर,गावं व डाकघर-बनीखेत तह. डलहौज़ी जि. चम्बा स्थायी पता ----गाँव घट्ट डाकघर बनीखेत जिला चंबा [हिमाचल प्रदेश ] मो .09418248262 , ई मेल --- [email protected]