कोई जीता नही कोई हारा नहीं…..मानस
कोई जीता नही कोई हारा नहीं।
तुम मेरे ना हुये मै तुम्हारा नही।।
बादलों से नमी तुमको मिल जाएगी,
हम मिलेंगे नही ये नजारा नहीं।
भागता ही रहा मै भी जाने कहाँ?
मिलता परछाइयों से सहारा नहीं।
छोड़ देना भला सागरों का सफर,
दिख रहा हो जहाँ पर किनारा नही।
कोई जीता नही कोई हारा नहीं…..मानस