बाल कविताबाल साहित्य

मियां गधे जी

 

बाँध गले में टाई, सिर पर सेहरा धर कर ऐंठे हैं।
ब्याह रचाने मिंया गधे जी, मंडप में आ बैठे हैं।

बाराती कुछ नाच रहे कुछ हैं खाने में जुटे हुए।
यार दोस्त फ़ोटो खिंचवाने एक दूजे से सटे हुए।

बहना रानी जीजा जी से नेग ढेर से मांग रही।
दुल्हन की माँ दुल्हन की ‘तारीफों के पुल बाँध’ रही।

अपना दूल्हा भी क्या कम है दोस्त तभी एक बोल पड़ा।
‘चने के झाड़ पे चढ़ गया’ दूल्हा मंडप में ही खड़ा खड़ा।

‘शान बघारी’ दूल्हे ने और राग भैरवी छेड़ दिया।
ऊंचे सुर में चीख चीख के ढेंचू ढेंचू तभी किया।

कान में उंगली दिए बाराती ‘दुम दबा कर भाग’ चले।
आधी रात मचा हड़कम्प सभी जानवर जाग चले।

सखी सहेली चीख पड़ी, डर के भागी बड़ी बहनिया।
सुन के तान मिंया दूल्हे की ‘नौ दो ग्यारह’ हुई दुल्हनिया।

*डॉ. मीनाक्षी शर्मा

सहायक अध्यापिका जन्म तिथि- 11/07/1975 साहिबाबाद ग़ाज़ियाबाद फोन नं -9716006178 विधा- कविता,गीत, ग़ज़लें, बाल कथा, लघुकथा