क्षणिका

नकली बत्तीसी!

जोर-जोर से सबसे अधिक देर तक हंसने की रेस में
उसे पहली बार किसी ने हराया,
आयोजक का दिमाग चकराया,
‘यह कैसे हुआ भाई!” मुझे तो समझ में नहीं आया!
इस बार नकली बत्तीसी ने अपना रंग दिखलाया.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

One thought on “नकली बत्तीसी!

  • लीला तिवानी

    हंसने और उबासी लेने में ही नकली बतीसी के गिर जाने का डर रहता था, तो इतनी सारी पब्लिक के सामने जोर-जोर से सबसे अधिक देर तक हंसने में तो जग-हंसाई का भी डर समाया था.

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