बालगीत – मम्मी मुझे न बनना नेता
मम्मी मुझे न बनना नेता।
अब का नेता भी क्या देता।।
पढ़-लिखकर मैं नाम कमाऊं।
नित विद्यालय पढ़ने जाऊँ।।
विद्यालय तम को हर लेता।.
मम्मी मुझे न बनना नेता।।
बिना पढ़े भी नेता होते।
बीज ज़हर के जन में बोते।।
भरते वह आँखों में रेता।
मम्मी मुझे न बनना नेता।।
ऊपर बगला भीतर कौवा।
मानव – तन में काला हौआ।।
घड़ियाली आँसू रो देता।
मम्मी मुझे न बनना नेता।।
नेता क्या सेवा करते हैं?
सीमा पर सैनिक मरते हैं।
राष्ट्र – सुरक्षा सैनिक देता।
मम्मी मुझे न बनना नेता।।
साक्षर क्या मैं शिक्षित बनकर।
सेवा करूँ वतन की जी भर।।
सद- मानव ही नैया खेता।
मम्मी मुझे न बनना नेता।।
— डॉ.भगवत स्वरूप ‘शुभम’