एनकाउंटर लघुकथा
एनकाउंटर लघुकथा
क्या हाल है शेखू लंगड़े?
अरे ! इंस्पेक्टर दिग्विजय आप।
हाँ शेखू!
इंस्पेक्टर साहब! शेखू तो जेल में ही मर गया था। अब तो आपके सामने शेखर रावत है साहब।
हा हा हा…अच्छी बात है शेखर, कैसी चल रही है?
मस्त है साहब, मेहनत और ईमानदारी थोड़ी मुश्किल है पर नींद सुकून की आती है। आप बताओ क्या चल रहा है?
क्या बताऊँ शेखर, ऊपर से प्रेशर है कि शहर में तीन महीने में हुए रेप, मर्डर और लूट के अभियुक्त को पकड़ो नही तो कार्यवाही होगी।
अरे साहब! आपके के लिए क्या मुश्किल? चाहोगे तो 2 दिन में ढूंढ निकलोगे।
हा हा हा…सही कहा। खैर चाय नही पिलाओगे
अरे साहब! बिल्कुल पिलायेंगे, चलिये आपको मेहनत के पैसे की चाय पिलाते हैं मगर लुंगीं और हवाई चप्पल में आपके साथ चलूँगा तो आपकी बेज्जती नही होगी हा हा हा….
नही होगी चलो तो……ताड़…ताड़
न्यूज हेडलाइन्स…तीन महीने से शहर में फैले खौफ का अंत। लूट, हत्यायें और रेप का मुख्य अभियुक्त शेखू लंगडा पुलिस मुठभेड़ में ढेर। एनकाउंटर करने वाले इंस्पेक्टर दिग्विजय राष्ट्रपति पुरुस्कार के लिए नामित………
सौरभ दीक्षित मानस
कानपुर-9760253965