कर्मवीर के कदम चूम लें
कर्मवीर वह कहलाता जिसकी रुकती नहिं चाल।
कर्मवीर वह कहलाता जिसका अनुगामी काल।
जिसकी चलती हैं हर साँसें सदा कर्म के साथ-
कर्मवीर वह कहलाता, नहिं वृथा बजाए गाल।।
नहीं झुका है नहीं झुकेगा इसका उन्नत भाल।
कर्मवीर के कदम चूम लें, ये हैं असली लाल।।
कर्मवीर जिसके पैरों में कर्मों का स्पन्दन।
कर्मवीर जिसका जोखिम से होता नित आलिंगन।
जो पत्थर को मसल सके दरिया पर बाँध बनाए-
कर्मवीर जिसका करता है काल चक्र अभिनन्दन।।
काट डालता है कर्मों से हर उलझन की जाल।
कर्मवीर के कदम चूम लें, ये हैं असली लाल।।
कर्मवीर जिसके हाथों में साहस की पतवार।
कर्मवीर जिसके आगे है वर्तमान की हार।
परिवर्तन की आग बनाती कर्मवीर की राह-
कर्मवीर जिसके कर्मों से चलता है संसार।।
होठों पर मुस्कान सजाकर दिल से है खुशहाल।
कर्मवीर के कदम चूम लें, ये हैं असली लाल।।
— डॉ अवधेश कुमार अवध