कविता कहमुकरी *हमीद कानपुरी 07/12/2019 हाथो हाथ लिये है फिरती। दूर कभी ना खुद से करती। पाकर उसको रहती गलगल, कासखि साजन, नासखि मोबल। — हमीद कानपुरी