कविता

दर्द भरी यादें

कुछ सूखे पत्ते किताबों में मिले,
तेरी याद दिला  गए।
मेरे दिल की गहराइयो से पूछो,
कितना याद आते हो तुम,
 अब तेरे बिन रहा जाता नहीं।
 तुम से हम कितना प्यार करते है
हर साँस  में तुम बसे  हो,
पास मेरे तुम थे,
लगता था सब कुछ है मेरे पास,
जल्दी से आ जाओ तुम,
मेरी हर धड़कन बुलाती है।
चाँद को जब देखती हूँ
तो तुम्हारी याद आती है।
हमें बहुत तड़पाती  है,
खाव्बो में भी तुम आते हो।
मेरी नींद उड़ाते हो,
तुम्हारी यादो में के सिवा  कुछ याद नहीं अब,
आ जाओ तुम वापस,
मेरी हर हर साँस बुलाती है ,
तेरी याद बहुत दर्द जागती  है।।
— गरिमा

गरिमा लखनवी

दयानंद कन्या इंटर कालेज महानगर लखनऊ में कंप्यूटर शिक्षक शौक कवितायेँ और लेख लिखना मोबाइल नो. 9889989384