सुदर्शन चक्र
”हाय कीरू आंटी, आप कैसी हैं?” सुबह-सवेरे सैर करते समय मीतू ने पेड़ की छांव तले व्हील चेयर बैठी हुई 95 साल की महिला का अभिवादन करते हुए पूछा.
अक्सर सैर पर मीतू की मुलाकात प्रातःकाल प्रकृति के सान्निध्य में रहने वाली हंसमुख ऑस्ट्रेलियन कीरू आंटी से होती थी. उनके चार बेटे और तीन बेटियां हैं और सभी उनका बहुत ख्याल रखते हैं. पोपले मुख वाली कीरू आंटी की खुशी उनके चहकते चेहरे पर झलक रही होती थी.
कीरू आंटी की अनेक पीढ़ियां ऑस्ट्रेलिया में रहती आई हैं. ऑस्ट्रेलिया के हर घर की तरह मीतू के घर भी कपड़े सुखाने का घूमने वाला ”Cloths Line” लगा हुआ है और कीरू आंटी के घर भी.
”कीरू आंटी, एक बात बताऊं, रोज कपड़े सुखाते समय Cloths Line मुझे समय चक्र-सा लगता है, घूमकर फिर वहीं आ जाता है. ठीक वैसे ही, जैसे बिना दांतों वाला एक नवजात कोमल शिशु बड़ा होकर तन-मन से कठोर बन जाता है, फिर वृद्धावस्था में वही आपके जैसा कोमल बिना दांतों वाला हो जाता है.”
”पर समय चक्र पीछे नहीं घूम सकता, मुझे तो यह सुदर्शन चक्र लगता है मीतू,’ कीरू आंटी ने कहा- ”तुमने ही तो बताया था, भगवान श्री कृष्ण जब जैसे चाहें सुदर्शन चक्र को घुमा सकते हैं. मैं भी इसको वैसे ही घुमा देती हूं. मैंने अपने जीवन में भी ऐसा ही किया है.”
”मैं समझी नहीं आंटी!” मीतू हैरान थी.
”जानती हो, मैं जब 50 वर्ष की थी, तो डेविड का शरीर शांत हो गया था. तब सबने मकान बेटों के नाम करने को कहा था. मैंने किसी की बात नहीं सुनी. अभी भी घर मेरे नाम ही है. चारों बेटे और तीनों बेटियां मेरे आगे-पीछे घूमते हैं. मैं कभी मोबाइल पर भी बात नहीं करती, जिसे बात करनी हो मेरे पास आए और प्रेम से बतियाए.”
सुदर्शन चक्र की ऐसी व्याख्या मीतू ने कभी नहीं सुनी थी.
सृष्टि की समस्त शक्तियों के केंद्र हैं शरीर के सात चक्र
शरीर में मूल रूप से 7 चक्र होते हैं. इन्हें सृष्टि की समस्त शक्तियों का केंद्र माना जाता है-
1.मूलाधार चक्र
2.स्वाधिष्ठान चक्र
3.मणिपुर चक्र
4.अनाहत चक्र
5.विशुद्ध चक्र
6.आज्ञा चक्र
7.सहस्त्रार चक्र
आपको और हम सबको उंगलियों में चक्र दिखाई देते होंगे. आप चमकता सितारा (लघुकथा) पढ़कर देखिए. सुदर्शन खन्ना के पापा का नाम श्री कृष्ण कुमार जी खन्ना था. उनकी छोटी उंगली में जो चक्र था वह भी सुदर्शन चक्र था.
मान्यताओं के अनुसार सुदर्शन चक्र की अनेक बातें कही जाती हैं, ध्यान से देखा जाए, तो हम सबके अंदर ऐसी शक्ति विद्यमान है, जैसी सुदर्शन चक्र में होती है, बस उस शक्ति को जगाना होता है.
सुदर्शन चक्र भगवान विष्णु का शस्त्र है। इसको उन्होंने स्वयं तथा उनके कृष्ण अवतार ने धारण किया है। किंवदंती है कि इस चक्र को विष्णु ने गढ़वाल के श्रीनगर स्थित कमलेश्वर शिवालय में तपस्या कर के प्राप्त किया था।
सुदर्शन चक्र अस्त्र के रूप में प्रयोग किया जाने वाला एक चक्र, जो चलाने के बाद अपने लक्ष्य पर पहुँचकर वापस आ जाता है। यह चक्र भगवानविष्णु को ‘हरिश्वरलिंग’ (शंकर) से प्राप्त हुआ था।[1] सुदर्शन चक्र को विष्णु ने उनके कृष्ण के अवतार में धारण किया था। श्रीकृष्ण ने इस चक्र से अनेक राक्षसों का वध किया था। सुदर्शन चक्र भगवान विष्णु का अमोघ अस्त्र है। पुराणों में उल्लेख मिलता है कि इस चक्र ने देवताओं की रक्षा तथा राक्षसों के संहार में अतुलनीय भूमिका का निर्वाह किया था।
सुदर्शन चक्र एक ऐसा अचूक अस्त्र था कि जिसे छोड़ने के बाद यह लक्ष्य का पीछा करता था और उसका काम तमाम करके वापस छोड़े गए स्थान पर आ जाता था। चक्र को विष्णु की तर्जनी अंगुली में घूमते हुए बताया जाता है। सबसे पहले यह चक्र उन्हीं के पास था। सिर्फ देवताओं के पास ही चक्र होते थे। चक्र सिर्फ उस मानव को ही प्राप्त होता था जिसे देवता लोग नियुक्त करते थे।