इतिहास

ब्रिटिशसाम्राज्यवाद बनाम क्रूरतम् हत्यारा नादिर शाह

हम सभी इतिहास में क्रूरता व अपने जुल्मोसितम के लिए कुछ बदनाम क्रूर सम्राटों व बादशाहों यथा नीरो, फ्रांस की रानी, नादिर शाह, तैमूरलंग, चंगेज खाँ, एडोल्फ हिटलर, जोज़ेफ स्टालिन आदि का ही नाम सुनते आए हैं, परन्तु अभी पिछले कुछ दिनों से एक प्रतिष्ठित समाचार पत्र मेंं किस्तों में प्रकाशित ‘कोहीनूर का शाप ‘के बहाने ब्रिटिश साम्राज्यवादियों के सत्ता के समय अफ्रीका, तत्कालीन भारत {जिसमें पाकिस्तान और बांग्लादेश के भूभाग भी सम्मिलित थे }, चीन आदि देशों के करोड़ों लोगों के साथ ब्रिटिश साम्राज्यवादियों ने जो अकथनीय और शब्दों की वर्णन सीमा के पार तक, जो सामूहिक हत्याएं, बलात्कार, अत्याचार, अनाचार और जुल्म किए हैं, उनके सामने उक्त लिखित तानाशाहों और क्रूर शासकों के सामूहिक कत्लेआम भी कुछ भी नहीं हैं!

इन प्रकाशित लेखों को पढ़ने के बाद हमें अब यह महसूस हो रहा है कि हम तो नाहक ही दुनिया के सबसे बड़े क्रूरतम् शैतान एडोल्फ हिटलर या नादिर शाह या चंगेज़ खाँ को इस दुनिया के सबसे क्रूरतम् व बड़े हत्यारे मानते आए हैं! इस दुनिया में क्रूरता और वहशीपन में ब्रितानिया के सफेद रंग के चमड़ी वाले अंग्रेजों की इस अंतहीन जुल्म, हत्या, पीट-पीटकर काली चमड़ी वाले अफ्रीकी व भारतीय उपमहाद्वीप के लोगों की चमड़ी उघाड़ देने, उनकी औरतों, स्त्रियों, बच्चियों से अनवरत बलात्कार करने, तोपों के सामने बाँधकर उनके हड्डियों और माँस के चिद्दी उड़ा देने, ऐसे लाखों लोगों को दास या गिरमिटिया मजदूर बनाकर, अपने उपनिवेशों को ले जाते समय अपने पानी की बड़ी-बड़ी जहाजों के पेंदे में भेड़-बकरों की तरह ठूंसकर, भर देने और उनके मरने पर उनकी लाशों को खुले समुद्र में फेंकने, जानबूझकर अनाज को गोदामों में संग्रह कर करोड़ों भारतीय लोगों को तिल-तिलकर मारने जैसे लोमहर्षक कुकृत्य सुनकर आज भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं और आँखें नम हो जातीं हैं, हृदय कराह उठता है, मनमस्तिष्क झनझनाने लगता है।

ब्रितानी शासकों ने भारत को कितना नुकसान पहुँचाया, इसका अब समग्र आकलन करना बहुत मुश्किल है, परन्तु ब्रिटिश साम्राज्यवादियों ने भारत, चीन तथा अफ्रीका आदि के अपने उपनिवेशों में एक मोटे आकलन के अनुसार तीन करोड़ भारतीयों को तो सीधे भूख से मारा, 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के असफल होने पर प्रतिशोध में जो इस महाद्वीप के लोगों के साथ जो क्रूरतम् व्यवहार किया, उसके सामने एडोल्फ हिटलर का यहूदियों को मारने की संख्या भी कुछ भी नहीं है! ब्रिटिश साम्राज्यवादियों ने इस धरती के किसी महाद्वीप से लोगों को धोखे से उजाड़कर दूरदराज़ के अपने ब्रिटिश कॉलोनियों में जिस प्रकार जबरन बसाया, उस क्रूरता व दमन की, इस दुनिया में दूसरी कोई मिशाल नहीं है, जिसमें करोड़ों लोग अपनी बहुमूल्य जिंदगियों को खो दिए।

प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 के बाद ब्रिटिश सेना ने जिस प्रकार भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों और उनके परिवारों से चुन-चुनकर बदला लिया उसका दुनिया में कोई अन्य उदाहरण नहीं है। उसके बारे में कैंब्रिज में एक भाषण का अंश इस प्रकार है, ‘जब हिमालय से लेकर कोमोरिन तक बगावत कुचल दी जाएगी, जब हर सूली खून से लाल हो जाएगी, जब हर संगीन अपने बोझ से कांप उठेगी, जब हर तोप के सामने की ज़मीन चिथड़ों, मांस, खून और चूर-चूर हड्डियों से पट जाएगी, तब जाकर तुम बात करना रहम की…। ‘

जुल्म की इंतहा यहीं तक नहीं रूकी, इन जालिम अंग्रेजों ने अफ्रीका के विभिन्न देशों से 31 लाख अफ्रीकी लोगों को दास बनाकर उन्हें पानी की जहाजों में जबरन ठूंसकर सूदूर अटलांटिक के पार के देशों में लम्बी यात्रा से ले जाने में चार लाख लोगों को तो इस थका देने वाली यात्रा में ही विभिन्न रोगों से मारकर खुले समुद्र में फेंक दिए। कैरेबियाई कॉलोनियों में एक-एक अंग्रेज भूस्वामी के पास हजारों एकड़ जमीन और उनके खेतों में काम करने के लिए सैकड़ों दास-दासियों के झुँड हुआ करते थे।अपने मालिक के खेतों में काम करते-करते ही मर जाना इनकी नियति थी, काम से इन्कार करना या बिमार होने की दशा में प्रायः दासों को मृत्यु दण्ड और दासियों की सजा अनवरत बलात्कार था, एक व्यभिचारी अंग्रेज तो दासियों से 3852 बार बलात्कार करने का रिकॉर्ड तक बनाया था। दास प्रथा बन्द होने के बाद भी इन मानवताविरोधी, वहशी और क्रूर गोरे अंग्रेजों ने अपने कुकृत्यों से बाज नहीं बाज नहीं आए, अब वे एक नये हथकंडे, गिरमिटिया {अंग्रेजी शब्द ‘एग्रीमेंट ‘का पूरब के अशिक्षित, गरी़ब मजदूरों द्वारा बोली जाने वाली बोलचाल की भाषा को ही ‘गिरमिटिया ‘शब्द दे दिया गया है, इसमें धूर्त अंग्रेज गरीब, अनपढ़ लोगों को कोलकाता या देश के किसी भाग से धोखे से पकड़कर अपने पानी की बड़ी जहाजों पर जबरन बैठाकर, एक सफेद पेपर पर अंगूठा लगाकर, उस पर बाद में अपने मनमाफिक शर्त के अनुसार एक एग्रीमेंट का मसौदा लिखकर उसको अपने मारीशस, क्यूबा, सूरीनाम या किसी भी अपने दूरस्थ कैरेबियाई ब्रिटिश कॉलनी स्थित अपने बड़े खेत के फॉर्मों में मजदूर बनाकर काम करने के लिए उठा ले जाते थे, बिहार के मशहूर लोकगायक स्वर्गीय बिहारी ठाकुर ने अपने विदेशिया नाटकों में अपनी गाँव की अनपढ़ और गरीब नायिकाओं द्वारा इस व्यथा को बहुत ही मार्मिक ढंग से अपनी लोकगीत को उक्त नाटकों में पिरोया है } मजदूरों के बहाने एक नये तरीके से 20 लाख चीनी व भारतीय लोगों को धोखे से बंधुआ मजदूरों की तरह अपने दूर-दराज के उपनिवेशों में स्थित अपने खेतों में काम करने के लिए अफ्रीकियों की तरह ही बुरे बर्ताव करते हुए, जबरन उनकी मातृभूमि से सदा के लिए वनवास भेज दिया। तो ये है ब्रिटिश साम्राज्यवाद के तथाकथित इस दुनिया के सबसे उन्नतिशील व सभ्य संस्कृति के वाहक नुमाइंदों के कुकृत्यों के कुछ नमूने…।

— निर्मल कुमार शर्मा

*निर्मल कुमार शर्मा

"गौरैया संरक्षण" ,"पर्यावरण संरक्षण ", "गरीब बच्चों के स्कू्ल में निःशुल्क शिक्षण" ,"वृक्षारोपण" ,"छत पर बागवानी", " समाचार पत्रों एवंम् पत्रिकाओं में ,स्वतंत्र लेखन" , "पर्यावरण पर नाट्य लेखन,निर्देशन एवम् उनका मंचन " जी-181-ए , एच.आई.जी.फ्लैट्स, डबल स्टोरी , सेक्टर-11, प्रताप विहार , गाजियाबाद , (उ0 प्र0) पिन नं 201009 मोबाईल नम्बर 9910629632 ई मेल [email protected]