मदिरा सवैया : नैनन देख लजाय रहे
प्रेम कि बात छिपावत मोहन ,हाय हिया अकुलाय रहे ।
रीझ गयी सुन तान हरी जब,सुंदर गीत सुनाय रहे ।
चाँद समान खिले मुख प्रीतम,नैनन देख लजाय रहे ।
आन बसो हिय सांवरिया अब प्राण अधीर बुलाय रहे।।
याद पिया तुमको करती जब ,पीर बढ़े इन नैनन में ।
भीतर भीतर जी तड़पा अरु ,ताप उठी इस सावन में ।
व्याकुल है मन प्यास जगी पर,बूँद पड़ी घर आँगन में ।
प्रेम फुहार करो हृद मोहन फूल खिलें फिर जीवन मे ।।
— रीना गोयल ( हरियाणा)