कुण्डली/छंद

मदिरा सवैया : नैनन देख लजाय रहे

प्रेम कि बात छिपावत मोहन ,हाय हिया अकुलाय रहे ।
रीझ गयी सुन तान हरी जब,सुंदर गीत सुनाय रहे ।
चाँद समान खिले मुख प्रीतम,नैनन देख लजाय रहे ।
आन बसो हिय सांवरिया अब प्राण अधीर बुलाय रहे।।
याद पिया तुमको करती जब ,पीर बढ़े इन नैनन में ।
भीतर भीतर जी तड़पा अरु ,ताप उठी इस सावन में ।
व्याकुल है मन प्यास जगी पर,बूँद पड़ी घर आँगन में ।
प्रेम फुहार करो हृद मोहन फूल खिलें  फिर जीवन मे ।।
— रीना गोयल ( हरियाणा)

रीना गोयल

माता पिता -- श्रीओम प्रकाश बंसल ,श्रीमति सरोज बंसल पति -- श्री प्रदीप गोयल .... सफल व्यवसायी जन्म स्थान - सहारनपुर .....यू.पी. शिक्षा- बी .ऐ. आई .टी .आई. कटिंग &टेलरिंग निवास स्थान यमुनानगर (हरियाणा) रुचि-- विविध पुस्तकें पढने में रुचि,संगीत सुनना,गुनगुनाना, गज़ल पढना एंव लिखना पति व परिवार से सन्तुष्ट सरल ह्रदय ...आत्म निर्भर