ग़ज़ल
खुद को तुम समझाकर तो देखो
दर्द में भी मुस्कुराकर तो देखो
जरूरतें हो जाएंगी कम तेरी भी
ईमानदारी से कमाकर तो देखो
बढ़ जाएगा एक और दुश्मन
किसी को आईना दिखाकर तो देखो
सीख जाओगे दलाली भी करना
तुम पत्रकार बनकर तो देखो
हो जाएगी मोहब्बत मिट्टी से
कुल्हड़ में चाय पीकर तो देखो
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:- आलोक कौशिक