मुक्तक
टीस किसी बेबस की जिस दिन
निज मन में महसूस करोगे
उस दिन एक नया सा जीवन
जीवन में महसूस करोगे।
त्याग मुखौटे आड़म्बर के
जिस दिन ख़ुद से मिल लोगे तुम
रब को बैठा अपने मन के
आँगन में महसूस करोगे।।
और किसी की बात न सुनकर
अपने मन की बात करेगा
होकर मद में चूर व्यक्ति जो
मैं ही मैं दिन रात करेगा।
निश्चित ही अपनी करनी पर
पछताएगा एक दिवस जो
तोड़ेगा विश्वास किसी का
सम्बंधों से घात करेगा।।
शोक तमस भय में जीते हैं
जिनके मन में छल होता है
जो सच्चाई के साधक हैं
उनका कल उज्जवल होता है।
देता है जग का संचालक
कर्मों के अनुसार सभी को
यश अपयश उत्थान पतन सब
कर्मों का प्रतिफल होता है।।
— सतीश बंसल