दो मुक्तक
नूतन वर्ष में अभिनव प्रयोग करके तो देखें,
नई विधा नई दिशा की ओर भी चलकर तो देखें,
जीवन बन जाएगा मंगलमय मधुमास,
नई युक्तियों को जरा अपनाकर तो देखें!
रंग बहुत-से देखे, बसंती मन भाया,
रंगों का सरताज, बसंती मन भाया,
वीर शहीदों ने भी पहना, चटक बसंती चोला,
देश-प्रेम का रंग, बसंती मन भाया.
-लीला तिवानी
सब नसीब का खेल है, चढ़ता पंगु पहाड़।
पत्थर जैसा फल लिए, खड़े डगर पर ताड़।
न छाया नहीं रस मधुर, न लकड़ी नहीं दाम-
नशा लिए बहका रहा, पीते हैं सब माड़।।