चौबारे पर कबूतर
आज सुबह हमारे चौबारे पर कबूतर आया,
क्या बताएं उसने क्या-क्या बताया,
उसने भी शायद हमारा ‘रसलीला’ ब्लॉग पढ़ा था,
बोला, “सुहाना सफर” हो गया.
”आनंद-ही-आनंद” से आनंद आ गया,
“मस्त रहें, व्यस्त रहें” का विचार बहुत भाया,
“सैर पर जाते हुए” जो देखने को मिला,
उसे देखकर “स्पीचलेस” ही था हो गया.
अब “शांतिवन की शांतता” मिल गई,
“ज़िंदा है अभी मानवता” जानकर मन हर्षाया,
“बीना की बीन” ने मधुरिम धुन सुनाई,
“खुशियों का मंत्र” से खोई हुई खुशी पाई.
“जीत पर जीत” ने जज्बा और हौसला बढ़ाया,
“जूते की गवाही” ने मनोरंजन भी करवाया,
“ज़िंदगी की खूबसूरत पटरी” पर चलना अच्छा लगता है,
“एक समोसे ने खड़ा कर दिया बवाल” सोचने को विवश करता है.
“नहीं मुरझाती प्रेम की बगिया” गुल खिलाती है,
“रेज़ ऑफ होप” आगे बढ़ने की राह दिखाती है,
“राहुल ने रचा इतिहास” ने उत्सुकता बढ़ाई,
“अतीत की स्वर्णिम यादें” बहुत कुछ सिखाती हैं.
“खुद से ही मुलाकात नहीं हो पाती” ने खुद से मिलना सिखा दिया,
“मौन का परिणाम मुखर होता है” ने चुप रहने का जादू दिखा दिया,
“उड़ी ने नींद उड़ाई है” ने सचमुच नींद उड़ा दी थी,
“आतंक की पौध को काटेंगे” ने फिर से साहस जगा दिया.
“सिडनी की सहेली” तो मेरी हमजोली निकली,
“एक उत्सव ऐसा भी” से मन उड़ा मेरा बनके तितली,
“उम्मीदें” पढ़कर मन में मस्ती की लहर लहराई है,
अब जाता हूं दाना खाने गली मैं पिछली.
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इंवर्टेड कामा “—–” के बीच में हमारे उन ब्लॉग्स के नाम हैं, जिनका संक्षेप में काव्यमय उल्लेख कबूतर ने किया है. इन ब्लॉग्स को गूगल में Search करके देखा जा सकता है.
आज दिल्ली में मतदान दिवस है-
कबूतर भाई, आज दिल्ली में मतदान दिवस है, आपने उसके बारे में कुछ नहीं कहा. शायद आप ‘मत’ शब्द पर जा रहे हैं यानी दान मत करो. अरे भाई, मत का अर्थ वोट है यानी अपना बोट दान करो. तो चलो दिल्ली वालो, अपने बोट का दान करने चलो.