स्वास्थ्य

एनीमा

यह आयुर्वेद द्वारा बतायी गयी वस्ति क्रिया का आधुनिक और सरल रूप है। यह प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति की प्रमुखतम क्रियाओं में शामिल है। इसका उद्देश्य है बड़ी आँतों की सफाई करना, क्योंकि बड़ी आँतों में बहुत सा मल एकत्र होकर सड़ता रहता है, जो अपने आप नहीं निकलता। उसको गुदा में पानी चढ़ाकर और उसमें घोलकर निकालना पड़ता है।

एनीमा लेने की विधि बहुत सरल है। इसके लिए एनीमा का एक डिब्बा बाजार में दवाइयों या सर्जीकल वस्तुओं की दूकानों पर मिलता है, जिसमें नीचे की ओर एक टोंटी लगी होती है। उस टोंटी में एक रबर की नली लगा देते हैं और उस नली के दूसरे सिरे पर एक प्लास्टिक की पतली और नुकीली टोंटी लगी होती है, जो गुदा में घुसाई जाती है।

एनीमा के डिब्बे को जमीन से लगभग ढाई-तीन फुट ऊपर दीवार पर किसी कील पर टाँग देना चाहिए। फिर उसमें लगभग एक-सवा लीटर सुहाता हुआ गुनगुना पानी भर लेना चाहिए। उसमें एक या आधा नीबू का रस निचोड़ा जा सकता है, हालांकि यह अनिवार्य नहीं है। अब जमीन पर चित लेटकर घुटनों को ऊपर उठा लीजिए और रबड़ की नली के दूसरे सिरे पर लगी हुई प्लास्टिक की टोंटी को गुदा में एक-दो इंच डालिए। आवश्यक होने पर उस टोंटी को तेल लगाकर चिकना किया जा सकता है, ताकि वह गुदा में सरलता से जाये। अब टोंटी खोलकर पानी को पेट में जाने दीजिए। आसानी से जितना सहन हो सके, उतना पानी पेट में जाने देने के बाद टोंटी निकाल दीजिए।

अब पानी को पेट में ही चार-पाँच मिनट रोकिए। लेटकर घड़ी की सुई की दिशा में पेट की गोल-गोल मालिश कीजिए। इससे मल आँतों से टूटेगा और पानी में घुल जाएगा। इसके बाद शौच जाइये। शौच अपने आप होने दीजिए। जोर बिल्कुल मत लगाइये। शुरू में 10 या 15 मिनट तक शौचालय में बैठने की आवश्यकता हो सकती है। एनीमा के बाद कटिस्नान अवश्य लेना चाहिए, क्योंकि एनीमा से आँतों में गर्मी पहुँचती है, जिसे हटाना जरूरी है। कटिस्नान की विधि अगली कड़ी में बतायी गयी है।

एनीमा लेने का उद्देश्य केवल बड़ी आँतों की सफाई करना और कब्ज से बचना होता है। केवल चिकित्सा के दिनों में ही जब अपने आप शौच नहीं हो रहा हो, तब यह क्रिया करनी चाहिए। इसकी आदत डालना गलत है। सामान्य स्वस्थ व्यक्ति यदि सप्ताह में एक बार यह क्रिया कर ले, तो उसे पर्याप्त लाभ होता है। इससे कब्ज नहीं होता और पाचन क्रिया सुधरती है।

पाचन शक्ति बढ़ाने के लिए शक्तिदायक एनीमा लेना चाहिए। इसमें केवल एक पाव ठंडा पानी रात को सोते समय आँतों में चढ़ाया जाता है और वहीं छोड़ दिया जाता है। सुबह शौच के साथ वह पानी अपने आप निकल जाता है। यदि आपकी पाचनशक्ति बहुत कमजोर है, तो ऐसा एनीमा आप कुछ दिनों तक रोज भी ले सकते हैं।

यदि किसी कारणवश आप एनीमा के डिब्बे की व्यवस्था न कर सकें या ऊपर बतायी गयी विधि से एनीमा न ले सकें, तो उसके स्थान पर निम्नलिखित उपाय करके एनीमा का लाभ उठाया जा सकता है-

एक-डेढ़ लीटर गुनगुने पानी में दो-तीन नीबू निचोड़ लीजिए और उसके बीज यदि हों तो निकाल दीजिए। अब एक-एक गिलास पानी हर 10-15 मिनट बाद पीते रहिए। यदि इसके बाद दस्त होते हों, तो होने दीजिए। इस क्रिया से आमाशय और आँतों की अच्छी प्रकार धुलाई हो जाती है और एनीमा का अधिकांश लाभ मिल जाता है।

— डाॅ विजय कुमार सिंघल

डॉ. विजय कुमार सिंघल

नाम - डाॅ विजय कुमार सिंघल ‘अंजान’ जन्म तिथि - 27 अक्तूबर, 1959 जन्म स्थान - गाँव - दघेंटा, विकास खंड - बल्देव, जिला - मथुरा (उ.प्र.) पिता - स्व. श्री छेदा लाल अग्रवाल माता - स्व. श्रीमती शीला देवी पितामह - स्व. श्री चिन्तामणि जी सिंघल ज्येष्ठ पितामह - स्व. स्वामी शंकरानन्द सरस्वती जी महाराज शिक्षा - एम.स्टेट., एम.फिल. (कम्प्यूटर विज्ञान), सीएआईआईबी पुरस्कार - जापान के एक सरकारी संस्थान द्वारा कम्प्यूटरीकरण विषय पर आयोजित विश्व-स्तरीय निबंध प्रतियोगिता में विजयी होने पर पुरस्कार ग्रहण करने हेतु जापान यात्रा, जहाँ गोल्ड कप द्वारा सम्मानित। इसके अतिरिक्त अनेक निबंध प्रतियोगिताओं में पुरस्कृत। आजीविका - इलाहाबाद बैंक, डीआरएस, मंडलीय कार्यालय, लखनऊ में मुख्य प्रबंधक (सूचना प्रौद्योगिकी) के पद से अवकाशप्राप्त। लेखन - कम्प्यूटर से सम्बंधित विषयों पर 80 पुस्तकें लिखित, जिनमें से 75 प्रकाशित। अन्य प्रकाशित पुस्तकें- वैदिक गीता, सरस भजन संग्रह, स्वास्थ्य रहस्य। अनेक लेख, कविताएँ, कहानियाँ, व्यंग्य, कार्टून आदि यत्र-तत्र प्रकाशित। महाभारत पर आधारित लघु उपन्यास ‘शान्तिदूत’ वेबसाइट पर प्रकाशित। आत्मकथा - प्रथम भाग (मुर्गे की तीसरी टाँग), द्वितीय भाग (दो नम्बर का आदमी) एवं तृतीय भाग (एक नजर पीछे की ओर) प्रकाशित। आत्मकथा का चतुर्थ भाग (महाशून्य की ओर) प्रकाशनाधीन। प्रकाशन- वेब पत्रिका ‘जय विजय’ मासिक का नियमित सम्पादन एवं प्रकाशन, वेबसाइट- www.jayvijay.co, ई-मेल: [email protected], प्राकृतिक चिकित्सक एवं योगाचार्य सम्पर्क सूत्र - 15, सरयू विहार फेज 2, निकट बसन्त विहार, कमला नगर, आगरा-282005 (उप्र), मो. 9919997596, ई-मेल- [email protected], [email protected]