कविता

महाकाल

काल हूँ महाकाल हूँ
अनंत का विस्तार।
रुद्र का भी अवतार
भाव से करता
भक्तों को भव पार हूँ।
न दिखे सत्य तो
संपूर्ण संसार का
करता विनाश हूँ।
काली का महाकाल हूँ
विष्णु का आराध्या
मैं विश्वनाथ हूँ।
मैं स्थिर हूँ
अस्थिर भी हूँ
इसीलिए सदाशिव हूँ।
देवों का भी देव हूँ
इसीलिए मैं महादेव हूँ।
आदि हूँ,अनादि हूँ
अनंत हूं ,अपार हूं।
अव्यय हूँ,अव्यग्र हूँ
तभी तो जगद्व्यापी
मैं सदाशिव हूँ।

— राजीव डोगरा

*डॉ. राजीव डोगरा

भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा कांगड़ा हिमाचल प्रदेश Email- Rajivdogra1@gmail.com M- 9876777233