होलिका छोड़ प्रह्लाद, जला दो अत्याचारी।
करते निर्बल का शोषण, हिंसक दुराचारी।
हर मां बहन बेटी है, मन भीतर डर रही।
मनमें उपजे खौफ से, मन ही मन डर रही।
पग पग दुशासन जैसे, हर मोढ़ पर मिलते।
अस्मत लुटनें दरिंदे, हैं बेखौफ फिरते।
है कैसे बच पाएगी, इस देश की नारी।
करते निर्बल का शोषण, हिंसक दुराचारी।
नफरत भाई – भाई में, किसनें फैलाई।
आए आगज़नी करनें, कहाँ से दंगाई।
धूँ धूँ कर जल रहा है, क्यों देश हमारा।
हिंदू मुस्लिम द्वेष रंजका दिया किसने नारा।
जला दे हुकमरानों को, की जिसने गद्दारी।
करते निर्बल का शोषण, हिंसक दुराचारी।
जल जाएं संग होली के,दुष्ट गोद बिठा कर।
आतंकी, दहशतगर्दी, दरिंदे सब जला कर।
पापों से मुक्ती दे दो, पावन यह देश हो।
सुख समृद्धि हो यहाँ पर, कोई न क्लेश हो।
लाज रखो तुम होलिके, है जनता पुकारी।
करते निर्बल का शोषण, हिंसक दुराचारी।
शिव सन्याल