सोशल मीडिया!
हर कोई हैरान था, परेशान था.
पी एम मोदी का सोशल मीडिया से मोहभंग क्यों?
ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर उनके करोड़ों फॉलोअर्स हैं, जो ‘नो सर’ का अलख जगाए हुए हैं.
करोड़ों लोगों से सीधा संवाद के लिए सोशल मीडिया का प्रयोग करने वाले पीएम मोदी क्या करने जा रहे हैं?
”सोशल मीडिया का सदुपयोग किया जाए तो इसकी ताकत और लोकतंत्र में इसके योगदान का महत्त्व निर्विवादित है.” कई बार ऐसा स्वयं मोदी जी ने भी कहा है.
इसके दुरुपयोग पर चिंता जाहिर करना भी वाजिब है.
”No news is good news”. ऐसा हमारे बड़ों का कहना था. तब तो सोशल मीडिया छोड़ फोन भी नहीं था, फिर भी वे खुश रहते थे और खुश रहने देते थे. हम फॉरवर्ड-पर-फॉरवर्ड किए जा रहे हैं.
फॉरवर्ड करने का फैशन समाप्त होना चाहिए. बिना सोचे-समझे हम हर मैसेज को फॉरवर्ड कर देते हैं. इससे अफरातफरी और मारामारी तो होती ही है, देश के आर्थिक, सामाजिक, नैतिक विकास का मार्ग भी अवरुद्ध हो जाता है.
फॉरवर्ड करने के फैशन का एक बड़ा साइड इफैक्ट- ”विश्व भर के परिप्रेक्ष्य में हमारे देश में इंटरनेट की खपत का एक बड़ा हिस्सा 30% होना, जब कि विदेशों में सारी शिक्षा-प्रणाली इंटरनेट पर आधारित है. छात्र सिर्फ पानी की बोतल और लंच बॉक्स का हल्का-सा बस्ता ले जाते हैं, है न चिंताजनक बात!”
चिंता की इस समस्या का एक सामान्य-सा हल है- ‘डिजिटल उपवास’. डिजिटल उपवास से हमारे मानसिक, शारीरिक और आर्थिक स्वास्थ्य पर भी अनुकूल प्रभाव पड़ेगा, हमारे पास सकारात्मक सोचने और सकारात्मक काम करने के लिए अतिरिक्त समय उपलब्ध होगा और अधिक इंटरनेट की खपत के चलते होने वाले प्रदूषण से मुक्ति भी मिलेगी.
थोड़ा-थोड़ा ‘डिजिटल उपवास’, थोड़ी-थोड़ी समझदारी और सोशल मीडिया का सही उपयोग, यही तो है जीवन में सबसे बड़ा और उत्तम योग!
”ऐसा होने पर इंटरनेट के शोर-शराबे की जगह ईथर मेँ एक बार फिर पवित्र ग्रंथों की गूंज सुनाई देगी!’ मन के एक कोने ने सहमति जताई.
अब तो मोदी जी ने स्पष्ट कर दिया है, कि वे रविवार 8 मार्च को महिला दिवस के अवसर पर देश की शान बढ़ाने वाली महिलाओं के सम्मान में सोशल मीडिया से संन्यास लेंगे. हमको भी डिजिटल उपवास’ के बारे में अवश्य सोचना चाहिए कि हम सोशल मीडिया का सदुपयोग करें और इसका उपयोग आवश्यक और सीमित करें, ताकि नेट की खपत कम हो. डिजिटल उपवास’ ही नहीं उपवास का महत्त्व भी कुछ कम नहीं है. तन से मोटे थुलथुल एक सज्जन को हाइ बी.पी. और शुगर की बीमारी हो गई. उन्होंने दवा के बदले केवल लंबे उपवास से अपना वजन इतना कम कर लिया, कि उनको सारे सूट टाइट करवाने पड़े.