गीत/नवगीत

उम्मीदों का सपन सलोना

स्पर्श करती उत्तुंगता को,
अंतस से उठती इच्छाएँ!
संघर्षों से जीती जाती,
जीवन की प्रतिकूल बलाएँ!!
असमय कालचक्र में बिंधकर,
धैर्य नहीं मुश्किल में खोना!
लक्ष्य भेदकर ही आता है,
उम्मीदों का सपन सलोना!!

होनी तो होकर रहती है,
मिटते नहीं विधि के लेखे!
हस्त लकीरें हमें बतातीं,
भाग्य बदलते कर्म सरीखे!!
बेवक्त हालातों से डर,
कर्तव्यों से विमुख न होना!
लक्ष्य भेदकर ही आता है,
उम्मीदों का सपन सलोना!!

बखूबी किरदार निभाओ,
जीवन के हर रंगमंच पर!
सुअवसर मत खो देना,
किसी भी भौतिक प्रपंच पर!!
खुद्दारी की सीढ़ी चढ़कर,
अपना बोझा खुद ही ढोना!
लक्ष्य भेदकर ही आता है,
उम्मीदों का सपन सलोना!!

— कंचन कृतिका

कंचन कृतिका

कंचन साहू 'कृतिका' पुत्री- श्री गायत्री प्रसाद साहू जन्मतिथि- 15-08-1996 गोण्डा, उ० प्र०, 271504 ईमेल- kanchansahu150895@gmail.com