दिल थामे चलता रहे
पाँव झूठ के जिनको सोहे, हृदय झूठ सजता रहे |
मिथ्या बोले शान बघारे, दिल थामे चलता रहे ।।
कई तरह से ठेस लगाकर, झूठ सदा ही साधते ।
साँसों की गति बोझिल होती,किन्तु सत्य से भागते
झूठ भरी कल्पित गाथाएं, सबके मन भरता रहे ।
मिथ्या बोले शान बघारे, दिल थामे चलता रहे ।।
करते है इन्कार झूठ से, असमंजस के भाव से ।
झूठ पकड़ ले न्यायालय तो,जले ह्रदय में घाव से ।।
कभी झूठ के सत्यापन से, कृत्य उसे खलता रहे ।
मिथ्या बोले शान बघारे, दिल थामे चलता रहे ।।
खड़ा हुआ जीवन सन्ध्या में, खड़ा सहारे ठूठ के ।
इस नश्वर संसार आदमी, बेबस रहता झूठ के ।।
एक ईश को भूल यहाँ सब, मिले घाव सहता रहे ।
मिथ्या बोले शान बघारे, दिल थामे चलता रहे ।।
— लक्ष्मण रामानुज लड़ीवाला