कविता

होली मनाओ रे

होली रंगों का त्योहार,बड़ा शानदार
लाया खुशियाँ अपार
मिलकर मनाओ रे-होली आई रे ।
आई बसंत बहार, करके सोलह श्रृंगार
रंगों से सरोबार, पड़े सतरंगी फुहार
मिलजुल बनाओ रे रंगोली।
देखो होली के रंग, मन में जागी उमंग
छोरी-सखियों के संग
भर-भर मारे पिचकारी, होके निःसंग
भीगी सबकी चुनरिया चोली रे
खेलो मिलके सब होली रे
रंगोली सजाओ रे, होली सब मिलकर मनाओ रे।
देखो छोरी के गाल,
साथ उड़ता गुलाल
हुआ रंग लालों-लाल
हुए होंठ गुलाबी, हुए नयन शराबी
आई मस्तों की टोली, मनाएँगे हम होली
नाचें होकर मस्त हमजोली।
थोड़ी पीकर के भंग, होके मस्त मलंग
मचाएं हुड़दंग,बाजें ढोल-मृदंग
उड़ाएं गुलाल,खूब किया है धमाल
हुए मदहोश, रहा न कोई होश
मनाओ रे रल मिल होली,
सजाओ रे रंगोली
होली है भई होली है।
यह होली का त्योहार, आए बार-बार
बहे प्रेम की बयार, छाई रंगों की बहार
होली मिलकर मनाओ रे।
सब मिलकर गले, भूलो शिकवे-गिले
एक दूसरे के हो जाओ रे
होली मनाओ रे।।।

-कृष्ण सिंगला

कृष्ण सिंगला

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

2 thoughts on “होली मनाओ रे

  • डाॅ विजय कुमार सिंघल

    बहुत अच्छी कविता ! उनका जय विजय में स्वागत है।

  • लीला तिवानी

    नवोदित कवि कृष्ण सिंगला भाई की जय विजय में यह पहली कविता है.

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