साक्षात्कार
पिता की मृत्यु के पश्चात, घर की तंगहाली और बडी़ होने का फ़र्ज़ निभाने की खातिर नौकरी करना स्वर्णा की मजबूरी बन गया था !
आज उसका पहला साक्षात्कार था…
“पहले कभी कोई काम किया है ?”, मैनेजर बोला !
“जी नहीं, यह मेरी पहली नौकरी हैं ! ” स्वर्णा बोली !
“आपको क्यों लगता है कि आप इस नौकरी के काबिल हैं ?”, मैनेजर बोला !
“मैं जिंदगी में कुछ करके दिखाना चाहती हूँ और मुझे लगता है कि यहाँ मेरे लिए पर्याप्त अवसर है!” वह विश्वास से बोली!
“किस प्रकार के अवसर? ” मैनेजर के नजरों की छुअन उसके शरीर पर रेंगने लगी थी!
कुछ और प्रश्नों के बाद वह अपनी औकात पर आ गया ! “आप जैसी कर्मठ कर्मचारी इस कम्पनी में बहुत तरक्की कर सकती है ! बस, कुछ फुरसत के पल हमारे साथ बिताने होंगे !” उसका हाथ बढ़ कर स्वर्णा के हाथों को छू रहा था !
स्वर्णा घबराई, पर अगले ही पल, “तड़ाक” की आवाज़ के साथ मैनेजर के गालों पर एक पुरानी राजनीतिक पार्टी की छाप छप गई !
बाहर आकर स्वर्णा ने इक नज़र नोटपैड पर नजर डाली और एक बार फिर से वह, पूरे आत्मविश्वास के साथ दूसरे साक्षात्कार पर जाने के लिए तैयार थी !
अंजु गुप्ता