कोरोना महामारी देने आई सीख
स्वच्छता का रखो ध्यान, मत मांगों भीख।
पश्चिम की ओर दौड़ कर कुछ न पायी सीख।
लटके त्रिशंकु की स्थिति में घबराये से दीख।
विश्व को सिखाया नमस्कार का रूप ,
तुलसी का पौधा और खिली- खिली धूप।
प्रेम होता हृदय से नहीं काया का रूप
भारतीय संस्कृति अपनाकर जन मन पाता सुख।
नई फसल के बच्चों पढ़ लो चरक संहिता,
हर बीमारी का इलाज नीम, बबूल पीपल, पपीता।
तन-मन-धन से वन जंगल की करें सुरक्षा,
बने सहायक एक दूजे के, करे न हानि हिंसा।
चिल्ला चिल्लाकर कह रही कोरोना महामारी,
अब भी न समझे तो मूर्ख बड़े तुम भारी।
भारत, भारतीय,भारतीयता की जग में छवि है न्यारी,
विश्व सभ्यता को बदलने की जिम्मेदारी हमारी।
— निशा नंदिनी भारतीय