गीत/नवगीत

बाई-बाई कह दें कोरोना को

बाई-बाई कह दें कोरोना को
जो कहते हैं वो होता है।
हम जो सोचें वो कर देते
रोना भी रोना रोता है।

आइये साफ रहें हम सब
स्वच्छ मन हो – स्वच्छ तन हो।
रोग प्रतिरोधक बढ़ाएं,
ताकि कोरोना भी सहन हो।
जो हो तन-मन शक्तिशाली
कैसे कहां कोरोना होता है?
बाई-बाई कह दें कोरोना को…

कोरोना मतलब मुकुट है
जीतेगा वो गर हम में फूट है।
महामारी में दुनिया सारी
भारी-सारी टूट-फूट है।
उगता है वही प्रकृति में
जो कुछ मानव यहां बोता है।
बाई-बाई कह दें कोरोना को…

भीड़-भाड़ से दूर रहें हम
थोडा सा बंधन सहें हम।
जोड़ हाथ, कर के नमस्ते
राम-राम जी ही कहें हम।
हाथ न आए वो कोरोना के
हाथ जो बार-बार धोता है।
बाई-बाई कह दें कोरोना को…

डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी

नाम: डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी शिक्षा: विद्या वाचस्पति (Ph.D.) सम्प्रति: सहायक आचार्य (कम्प्यूटर विज्ञान) साहित्यिक लेखन विधा: लघुकथा, कविता, बाल कथा, कहानी सर्वाधिक अकादमिक प्रमाणपत्र प्राप्त करने हेतु तीन रिकॉर्ड अंग्रेज़ी लघुकथाओं की पुस्तक के दो रिकॉर्ड और एक रिकॉर्ड हेतु चयनित 13 पुस्तकें प्रकाशित, 10 संपादित पुस्तकें 33+ शोध पत्र प्रकाशित 50+ राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय सम्मान प्राप्त फ़ोन: 9928544749 ईमेल: [email protected] डाक का पता: 3 प 46, प्रभात नगर, सेक्टर-5, हिरण मगरी, उदयपुर (राजस्थान) – 313 002 यू आर एल: https://sites.google.com/view/chandresh-c/about ब्लॉग: http://laghukathaduniya.blogspot.in/