लघुकथा

श्रद्धापुष्प (पूजन सामग्री)

“ए बहूरिया मैं मंदिर जा रही हूँ ,तुम भी पीछे से आ जइयो । साथ में पूजन सामग्री भी लेती अइयो ।”
“मैं ले जाती , लेकिन तू हमसे ज्यादा पढ़ी लिखी है , हमसे बेहतर जानत हो , उनकी जरूरतों को ।”
“अम्मा माना कि मैं पढ़ी लिखी हूँ पर मैं कैसे जानूँ कि मंदिर में क्या ले जाऊँ ? मैं सारा सामान इकट्ठा कर देती हूँ , बस आप बोलती जाओ ।”
“हेंएए….इ का कह रही बहुरिया ! तोको ना पता है ?”
“ना अम्मा बस आप बोलती जाओ ।”
“ठीक है तो सुन ; थोड़े ताजे फल रख लेयो, थोड़े मीठे एवं नमकीन के पैकेट …।”
“बस बस अम्मा ! अरे आप मंदिर जा रही हैं या पिकनिक ?”
“धत्त पगली ; ई कौनो मज़ाक का वक्त नाहीं है , अरे मंदिर में तो ताले लाग गयो, भगवान तो अब अस्पतालों में विराजत हैं , खुद अपनी चिंता ना करके जीवनदाता बन अपनी भूख प्यास भूलकर मानव सेवा में ध्यानमग्न हैं ।”

“उनही के खातिर उनकी पसंद और जरूरत के सामान रख लेयो ।”
“अम्मा बुरा ना मानों तो एक बात हमहूँ कहें, आज आप भगवान मानत हो और जब उनसे कोई गलती होइ जात है तो मरने मारने पर उतारू होय जात हो।”
“हाँ बहुरिया तुम ठीक कहत हो, भगवान तो भाव के भूखे हैं, अब हम घर ही में बैठके प्रार्थना करिबे, ‘आप सुखी तो जग सुखी’ होइ ।”

आरती रॉय

 

*आरती राय

शैक्षणिक योग्यता--गृहणी जन्मतिथि - 11दिसंबर लेखन की विधाएँ - लघुकथा, कहानियाँ ,कवितायें प्रकाशित पुस्तकें - लघुत्तम महत्तम...लघुकथा संकलन . प्रकाशित दर्पण कथा संग्रह पुरस्कार/सम्मान - आकाशवाणी दरभंगा से कहानी का प्रसारण डाक का सम्पूर्ण पता - आरती राय कृष्णा पूरी .बरहेता रोड . लहेरियासराय जेल के पास जिला ...दरभंगा बिहार . Mo-9430350863 . ईमेल - [email protected]