कोशिशें
खुशी की बात है खुशियां दूर तक महक लुटाती हैं
कि बुलबुल आशियां से आसमां तक उड़ती जाती है-
किरण दीपक की कहती है पतंगों से चले आओ
किरण सूरज की चुपके-से चमक छितराती जाती है-
महक फूलों की कहती है ये भौंरों से चले आओ
महक बगिया की चुपके-से महक बिखराती जाती है-
ललक बदरी की कहती है प्रेमियों से चले आओ
ललक बादल की चुपके-से नेह बरसाती जाती है-
कोशिशें मानव को कहती है कि कोशिश करते ही आओ
कोशिशें मानव की अक्सर सफल करवाती जाती है-
(तर्ज- चमन में रहके वीराना मेरा दिल होता जाता है——–)
कविता पढ़ी। बहुत अच्छी लगी। वेदो में मनुष्य का एक नाम क्रतो बताया है। इसका अर्थ कर्म करने वाला प्राणी व मनुष्य है। वस्तुतः वही कर्म कर्म हैं जिससे किसी सज्जन पुरुष व स्त्री को लाभ होता है, हमारा समाज उन्नति करता है और देश मजबूत बनता है। नमस्ते जी। सादर।
प्रिय मनमोहन भाई जी, यह जानकर अत्यंत हर्ष हुआ, कि कोशिशें’ कविता आपको बहुत अच्छी लगी. लॉकडाउन के चलते कुछ कागजों की उल्टा-पलटी करते यह रचना हाथ आ गई, प्रस्तुत कर दी. आपकी आध्यात्मिक प्रतिक्रिया ने मन को भावविभोर कर दिया. रचना का संज्ञान लेने, इतने त्वरित, सार्थक व हार्दिक कामेंट के लिए हृदय से शुक्रिया व धन्यवाद.
कोशिशें ही मेहनत करवाती हैं,
कोशिशें नए अनुसंधान करवाती हैं,
कोशिशें सेल्फ लॉकडाउन करना सिखाती हैं,
कोशिशें ही कोरोना से लड़ने हेतु नई ऊर्जा का संचार करवाती हैं,
कोशिशें मानव को जगाती हैं,
कोशिशें ही कोरोना को भगाती हैं,