ग़ज़ल
मर्ज़ी यार चलाओगे तो सब खो दोगे
घर से बाहर जाओगे तो सब खो दोगे
केवल संयम साध बचा पाओगे ख़ुद को
मुश्किल में घबराओगे तो सब खो दोगे
ले सकती है जान ज़रा सी लापरवाही
ये सच यदि झुठलाओगे तो सब खो दोगे
घर में जीवन है बाहर पसरा है जोख़िम
जोख़िम आप उठाओगे तो सब खो दोगे
माना बंदिश में रहना मुश्किल होता है
पर बंदिश ठुकराओगे तो सब खो दोगे
आज मुसीबत गारंटी है कल जीवन की
इससे आँख चुराओगे तो सब खो दोगे
सिर्फ़ नमस्ते से अभिवादन ही बेहतर है
तुम जो हाथ मिलाओगे तो सब खो दोगे
— सतीश बंसल