कविता

मरकज के जमाती

मौत खड़ी है सर पर लेकिन भान नहीं कुछ इसका है,
बचना इससे इनको कैसे, ज्ञान नहीं कुछ इसका है।
चरमपंथ है, कट्टरपंथ है, धर्म का जाहिलपन इनमें,
बनी रहे आपस में दूरी, ध्यान नहीं कुछ इसका है।।

दुनिया जिससे छुप रही, उसको गले लगाने वाले,
गले लगाकर प्रेम-भाव से, आपस में बतियाने वाले।
समझ सके ना विकट परिस्थिति, ना मृत्यु का नर्तन,
मरकज में मिलकर बैठे, धीमी मौत लुटाने वाले।।

स्वास्थ्य विभाग पर थूक रहे, जहां तहां ये मूत रहे,
मार-पीट कर पुलिस वालों से, वर्दी पर थूक रहे।
नंगई पर हो उतारू महिला डाक्टर नर्स समक्ष-
नंगे हो, अभद्र भाषा कह, आगे पीछे कूद रहे।।

जाहिलपन से इनकी यारी, मौत इन्हें लगती है प्यारी,
समझाने से समझ रहे ना, मरने की इनकी तैयारी।
तबलीगी जमात वालों ने, डरा दिया है भारत को,
डाक्टर, नर्स, पुलिस वालों से मारपीट कर देते गारी।।

।।प्रदीप कुमार तिवारी।।
करौंदी कला सुलतानपुर
उत्तर प्रदेश
7978869045

प्रदीप कुमार तिवारी

नाम - प्रदीप कुमार तिवारी। पिता का नाम - श्री दिनेश कुमार तिवारी। माता का नाम - श्रीमती आशा देवी। जन्म स्थान - दलापुर, इलाहाबाद, उत्तर-प्रदेश। शिक्षा - संस्कृत से एम ए। विवाह- 10 जून 2015 में "दीपशिखा से मूल निवासी - करौंदी कला, शुकुलपुर, कादीपुर, सुलतानपुर, उत्तर-प्रदेश। इलाहाबाद मे जन्म हुआ, प्रारम्भिक जीवन नानी के साथ बीता, दसवीं से अपने घर करौंदी कला आ गया, पण्डित श्रीपति मिश्रा महाविद्यालय से स्नातक और संत तुलसीदास महाविद्यालय बरवारीपुर से स्नत्कोतर की शिक्षा प्राप्त की, बचपन से ही साहित्य के प्रति विशेष लगव रहा है। समाज के सभी पहलू पर लिखने की बराबर कोशिस की है। पर देश प्रेम मेरा प्रिय विषय है मैं बेधड़क अपने विचार व्यक्त करता हूं- *शब्द संचयन मेरा पीड़ादायक होगा, पर सुनो सत्य का ही परिचायक होगा।।* और भ्रष्टाचार पर भी अपने विचार साझा करता हूं- *मैं शब्दों से अंगार उड़ाने निकला हूं, जन जन में एहसास जगाने निकला हूं। लूटने वालों को हम उठा-उठा कर पटकें, कर सकते सब ऐसा विश्वास जगाने निकला हूं।।* दो साझा पुस्तके जिसमे से एक "काव्य अंकुर" दूसरी "शुभमस्तु-5" प्रकाशित हुई हैं