कविता

जिंदगी

ओस की इक बूँद – सी
है जिंदगी मेरी
कभी फूल, कभी धूल
कभी आग या हवा
सोख लेता सूर्य
या बरसात में मिलना
है नहीं रक्षित कहीं
मेरी जगह
मेरा वज़ूद।
जिंदगी का चक्र
फिर भी ठेलता हुआ
चल रहा हूँ देख सूरज,
चाँद, तारों को
अनगिनत राही
गये होंगे क्षितिज को लाँघकर
छोड़कर अमरत्व की
ख़्वाहिश हठीली
अप्राप्य मनभावन रसीली
कर्मपथ पर बढ़ रहा हूँ
जिंदगी सर पर उठाये
चल रहा हूँ।
है मगर कोशिश मेरी
कि लौटकर
पीछे कभी मत देखना
रुकना नहीं
झुकना नहीं
बस जिंदगी की बूँद को
पल भर सही
अपनत्व दे दो।

*डॉ. अवधेश कुमार अवध

नाम- डॉ अवधेश कुमार ‘अवध’ पिता- स्व0 शिव कुमार सिंह जन्मतिथि- 15/01/1974 पता- ग्राम व पोस्ट : मैढ़ी जिला- चन्दौली (उ. प्र.) सम्पर्क नं. 919862744237 [email protected] शिक्षा- स्नातकोत्तर: हिन्दी, अर्थशास्त्र बी. टेक. सिविल इंजीनियरिंग, बी. एड. डिप्लोमा: पत्रकारिता, इलेक्ट्रीकल इंजीनियरिंग व्यवसाय- इंजीनियरिंग (मेघालय) प्रभारी- नारासणी साहित्य अकादमी, मेघालय सदस्य-पूर्वोत्तर हिन्दी साहित्य अकादमी प्रकाशन विवरण- विविध पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन नियमित काव्य स्तम्भ- मासिक पत्र ‘निष्ठा’ अभिरुचि- साहित्य पाठ व सृजन