गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल – कोरोना

हादसों   का   शहर है, न  जाओ सजन,
अब तो घर  में समय को बिताओ सजन।
वायरस    मौत     बनकर    रही  घूमती,
हाथ  उससे  नहीं  तुम  मिलाओ सजन।
थूकते  कुछ   अमानुष, इधर   से उधर,
उनसे खुद भी बचो फिर बचाओ सजन।
हाथ   डंडा     लिये, घूमती   है पुलिस,
इस  उमर में न इज्जत लुटाओ सजन।
हाथ   में   हाथ   लेकर, हुए  हमसफ़र,
काम   में    हाथ   मेरा,   बँटाओ सनम।
बाल – बच्चे  नहीं,  बस    अकेले मिरे,
फर्ज़ बापू का, कुछ तो निभाओ सजन।
सेनिटाइज़    करो   खूब   घर – आँगना,
साफ   रहकर, सफाई सिखाओ सजन।
आप     मेरे    सखा, मैं   सखी आपकी,
प्रेम  के  फूल, फिर से खिलाओ सजन।
मान   मेरा  कहा, घर  से  बाहर  न जा,
लॉकडाउन है लॉकअप में आओ सजन।
– डॉ अवधेश कुमार अवध

*डॉ. अवधेश कुमार अवध

नाम- डॉ अवधेश कुमार ‘अवध’ पिता- स्व0 शिव कुमार सिंह जन्मतिथि- 15/01/1974 पता- ग्राम व पोस्ट : मैढ़ी जिला- चन्दौली (उ. प्र.) सम्पर्क नं. 919862744237 Awadhesh.gvil@gmail.com शिक्षा- स्नातकोत्तर: हिन्दी, अर्थशास्त्र बी. टेक. सिविल इंजीनियरिंग, बी. एड. डिप्लोमा: पत्रकारिता, इलेक्ट्रीकल इंजीनियरिंग व्यवसाय- इंजीनियरिंग (मेघालय) प्रभारी- नारासणी साहित्य अकादमी, मेघालय सदस्य-पूर्वोत्तर हिन्दी साहित्य अकादमी प्रकाशन विवरण- विविध पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन नियमित काव्य स्तम्भ- मासिक पत्र ‘निष्ठा’ अभिरुचि- साहित्य पाठ व सृजन