गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

मुझे  मालूम  है कंधे से उठ, सर पर चढ़ेगा वो,
मगर  खुश हूँ कि है मेरा लहू, मुझसे बढ़ेगा वो।
तुम्हें तख़लीफ़ क्यों होती,बताओ देखकर झुकते,
पढ़ाया  जो  उसे  मैंने, वही सब तो पढ़ेगा वो।
यही दस्तूर है जग का कि जैसा बीज फल वैसा,
मिलेगा  गुरु  जिसे जैसा, उसी जैसा गढ़ेगा वो।
चला चरखा,  बनाया सूत,  बेमन और बेढंगा,
अगर बिगड़ा हुआ है सूत तो बिगड़ा कढ़ेगा वो।
गटक सब, लीलता मीठा व कड़वा थूक देता जो,
अवध हर दोष – ऐबों को भी दूजे  पे मढ़ेगा वो।

*डॉ. अवधेश कुमार अवध

नाम- डॉ अवधेश कुमार ‘अवध’ पिता- स्व0 शिव कुमार सिंह जन्मतिथि- 15/01/1974 पता- ग्राम व पोस्ट : मैढ़ी जिला- चन्दौली (उ. प्र.) सम्पर्क नं. 919862744237 [email protected] शिक्षा- स्नातकोत्तर: हिन्दी, अर्थशास्त्र बी. टेक. सिविल इंजीनियरिंग, बी. एड. डिप्लोमा: पत्रकारिता, इलेक्ट्रीकल इंजीनियरिंग व्यवसाय- इंजीनियरिंग (मेघालय) प्रभारी- नारासणी साहित्य अकादमी, मेघालय सदस्य-पूर्वोत्तर हिन्दी साहित्य अकादमी प्रकाशन विवरण- विविध पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन नियमित काव्य स्तम्भ- मासिक पत्र ‘निष्ठा’ अभिरुचि- साहित्य पाठ व सृजन