राजनीति

कोरोना वायरस जैसे ‘मानवभक्षी वायरस ‘से हत्या कराने वाला असली गुनाहगार चीन है या अमेरिका ?

विद्वतजनों में एक बात बहुत प्रचलित है कि ‘जो दिखता है या जो समाचारों के माध्यम से जनता को दिखाया जाता है,वह बिल्कुल जरूरी नहीं कि वही सच्चाई हो !’यह बात आज कुछ समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों से सिद्ध हो गई है। आज के समाचार पत्रों में प्रकाशित समाचारों में एक बहुत ही हतप्रभ कर देने वाली खबर प्रकाशित हुई है, मसलन जो अमेरिका, पिछले काफी दिनों से कोरोना वायरस फैलाने के लिए चीन पर बहुत ही अभद्र भाषा में दोषारोपण करते हुए दीख रहा था,वही अमेरिका पिछले दसियों सालों से चीन के वुहान शहर में 64 वर्ष पहले स्थापित उस प्रयोगशाला को जिसमें प्रोटीन के खोल वाले ‘सब माइक्रोस्कोपिक,पैरासाइट्स व वायरस कणों की रिसर्च की जाती है, ‘ जिसका नाम ‘इंंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी ‘है, को इस धूर्त अमेरिका ने चमगादड़ों और पैंगोलिनों जैसे जानवरों पर वायरस सम्बंधित शोध जारी रखने के लिए पिछले दसियों सालों में लगभग 3.7 मिलियन डॉलर (करीब 28 करोड़ रूपये) दिया है,ताकि कोरोना जैसा मानवभक्षी वायरस के निर्माण में कोई आर्थिक रूकावटें न आएं ! यह मदद पिछले दसियों साल से मतलब ओबामा के कार्यकाल से वर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के समय तक अनवरत जारी रहा है ! अमेरिकी चरित्र का दोगलापन देखिए,यह वही अमेरिका है,जो केमिकल हथियार बनाने के केवल शक पर एक स्वतंत्र राष्ट्र राज्य इराक को नेस्तनाबूद करके रख दिया ! और खुद इस दुनिया के समस्त मानवप्रजाति को सत्यानाश करने हेतु चीन जैसे देश से गुपचुप तरीके से’मिलकर ‘जैविक हथियारों ‘ को बनाने का और इस समस्त मानवप्रजाति के अहित करने के लिए कितना घिनौना काम कर रहा है !
उक्त समाचार ब्रिटेन के ‘डेली मेल ‘ने अपने समाचार पत्र में ‘रिवील्ड ‘नामक हेडिंग के तहत प्रकाशित किया है। डेलीमेल के अनुसार,अमेरिका की जिस नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (एनआईएच ) के द्वारा ये करोड़ों रूपए वुहान स्थित ‘इंंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी ‘ को भेजा गया,उस वुहान के लैब के वेब साईट पर इस अमेरिकन ‘नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ ‘ का नाम कंपनी पार्टनर के तौर पर दर्ज है ! 2020 के शुरूआती दिनों में, मतलब जनवरी में इसी सम्बंधित एक समाचार आया था कि कोरोना वायरस के वाहक चमगादड़ हैं,जो वुहान स्थित प्रयोगशाला से गलती से लीक हो गए हैं। इसके बाद,इसके लिए चीन और अमेरिका एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाना शुरू कर दिए,लेकिन आज पूरे विश्व के सामने ये दोनों मानवहंता देश बिल्कुल नंगे खड़े हैं।
चीन के ‘साउथ चाइना एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने शोधकर अब यह साबित कर दिया है कि ये कोरोना वायरस चमगादड़ों से पैंगोलिनों में और उसके बाद मनुष्यों में पहुंचे। इसकी पुष्टि हेतु उन वैज्ञानिकों ने कोरोना से संक्रमित बहुत से मरीजों और पैंगोलिनों के जीनोम सिक्वेंस में मिलान किए,तो अद्भुत रूप से उन दोनों के जीनोम सिक्वेंस 99 प्रतिशत तक मिल गये। वैज्ञानिकों के अनुसार ‘कोरोना वायरस ‘ ऐसे जीव को अपना वाहक बनाते हैं,जो उन्हें तेजी से फैलाए,इसके लिए चमगादड़ सबसे उपयुक्त हैं,क्योंकि ये लाखों की संख्या में एक साथ रहते हैं,और प्रतिदिन सैकड़ों किलोमीटर दूर तक उड़कर चले जाते हैं। इसलिए चमगादड़ कोरोना वायरस के लिए सर्वथा उपयुक्त माध्यम हैं।
अमेरिका और चीन इन दोनों देशों का इस धरती के समस्त मानवप्रजाति को ही ‘मारने के लिए ‘इस कुत्सित प्रयास की जितनी भी भर्त्सना की जाय कम है। यह नीचतापूर्ण भेद अब खुल जाने के बाद अब दुनियाभर के ईमानदार मिडिया ने अमेरिकी सरकार पर जबर्दस्त हमला शुरु कर दिया है। सबसे बड़े आश्चर्यजनक बात यह भी है कि अमेरिकी सांसदों ने ही अपनी सरकार के इस अक्षम्य करतूत की जबर्दस्त आलोचना शुरु कर दिए हैं। कितनी विडम्बना की बात यह भी है कि जो अमेरिका ‘कोरोना जनित रोग ‘के लिए चीन को इसका सबसे बड़ा दोषी बनाने की जोर-शोर से उतावला था,यह भेद खुलने के बाद अब यह साबित हो गया कि इस ‘अक्षम्य और गंभीर अपराध ‘करने का दोषी केवल चीन ही नहीं था,अपितु इस कुकृत्य में उसका आर्थिक और सैन्य सहयोगी के तौर पर ‘अमेरिका खुद भी ‘है !

— निर्मल कुमार शर्मा

*निर्मल कुमार शर्मा

"गौरैया संरक्षण" ,"पर्यावरण संरक्षण ", "गरीब बच्चों के स्कू्ल में निःशुल्क शिक्षण" ,"वृक्षारोपण" ,"छत पर बागवानी", " समाचार पत्रों एवंम् पत्रिकाओं में ,स्वतंत्र लेखन" , "पर्यावरण पर नाट्य लेखन,निर्देशन एवम् उनका मंचन " जी-181-ए , एच.आई.जी.फ्लैट्स, डबल स्टोरी , सेक्टर-11, प्रताप विहार , गाजियाबाद , (उ0 प्र0) पिन नं 201009 मोबाईल नम्बर 9910629632 ई मेल .nirmalkumarsharma3@gmail.com

One thought on “कोरोना वायरस जैसे ‘मानवभक्षी वायरस ‘से हत्या कराने वाला असली गुनाहगार चीन है या अमेरिका ?

  • डाॅ विजय कुमार सिंघल

    अमेरिका ही एकमात्र अपराधी है। चीन तो मासूम है।

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