कविता

कविता

समय ने चली ये
कैसी उल्टी चाल
कैद हुए इंसा घरों में
और स्वछंद घूम रहे
जानवर
कहीं नील गाय
कहीं पेंगुइन्स
कहीं हाथी
कहीं हिरण
कहीं बतखें
बड़े आराम से
हुआ अजब समय
का फेर
इंसा बंद हुए घरों में अपने
महामारी के चलते
और पंछी, जानवर ले रहे
मज़ा खुले वातावरण का
सालों से गंदी हो चुकी
नदियां भी बहने लगी
कल कल हो साफ बिल्कुल
चाहे हो गंगा, यमुना व अन्य
नदियाँ
पर्यावरण हुआ साफ
सिर्फ एक लॉक डाउन ने
कर डाले यूँ चमत्कार कई
शायद अपना तरीका है
प्रकृति का इंसा को परख
यूँ कर कैद घरों में अपने
ली समय न करवट कैसी
हुआ सब कुछ उल्टा पुल्टा
इंसा कैद घरों में
पंछी जानवर उन्मुक्त
कर रहे सैर मन मुताबिक।।
— मीनाक्षी सुकुमारन

मीनाक्षी सुकुमारन

नाम : श्रीमती मीनाक्षी सुकुमारन जन्मतिथि : 18 सितंबर पता : डी 214 रेल नगर प्लाट न . 1 सेक्टर 50 नॉएडा ( यू.पी) शिक्षा : एम ए ( अंग्रेज़ी) & एम ए (हिन्दी) मेरे बारे में : मुझे कविता लिखना व् पुराने गीत ,ग़ज़ल सुनना बेहद पसंद है | विभिन्न अख़बारों में व् विशेष रूप से राष्टीय सहारा ,sunday मेल में निरंतर लेख, साक्षात्कार आदि समय समय पर प्रकशित होते रहे हैं और आकाशवाणी (युववाणी ) पर भी सक्रिय रूप से अनेक कार्यक्रम प्रस्तुत करते रहे हैं | हाल ही में प्रकाशित काव्य संग्रहों .....”अपने - अपने सपने , “अपना – अपना आसमान “ “अपनी –अपनी धरती “ व् “ निर्झरिका “ में कवितायेँ प्रकाशित | अखण्ड भारत पत्रिका : रानी लक्ष्मीबाई विशेषांक में भी कविता प्रकाशित| कनाडा से प्रकाशित इ मेल पत्रिका में भी कवितायेँ प्रकाशित | हाल ही में भाषा सहोदरी द्वारा "साँझा काव्य संग्रह" में भी कवितायेँ प्रकाशित |